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करीम बेंजेमा ने गोल दागकर लिवरपूल की वापसी की उम्मीदों पर फेरा पानी

मैड्रिड,  इंग्लिश प्रीमियर लीग में मैनचेस्टर युनाइटेड के विरुद्ध 7-0 से जीत दर्ज करने के बाद लिवरपूल के प्रशंसक चैंपियंस लीग में भी टीम की ऐतिहासिक वापसी की उम्मीदें लगा रहे थे। हालांकि, अंतिम-16 के दूसरे लेग में भी लिवरपूल को निराशा ही हाथ लगी और एक बार फिर दावेदार रीयल मैड्रिड ने 1-0 से मैच अपने नाम कर लिया

इस जीत के साथ रीयल मैड्रिड दोनों चरणों के मैच को कुल 6-2 से जीतकर क्वार्टर फाइनल में पहुंच गया। बुधवार को खेले गए मैच का इकलौता गोल करीम बेंजेमा ने किया। उन्होंने मैच के 79वें मिनट में विनिसियस जूनियर की मदद से यह गोल दागा। चैंपियंस लीग के नाकआउट चरण के पिछले आठ मैचों में यह उनका 13वां गोल था।

रीयल मैड्रिड ने पिछले वर्ष फाइनल में भी लिवरपूल को हराया था। लिवरपूल के प्रशंसकों को सबसे अधिक कष्ट इस बात से थी कि मैच के दौरान टीम की ओर से किसी ने भी गोल नहीं दागा। पहले लेग में तीन गोल के अंतर को घटाने की कोशिश तो दूर लिवरपूल की टीम चैंपियन रीयल मैड्रिड के आगे बेहद औसत दिखी।

एनफील्ड के मैदान पर कुछ क्षणों के भीतर दो से तीन गोल के अंतर होने से लगे झटके से टीम मैड्रिड के बर्नब्यू स्टेडियम में भी नहीं उबर पाई। मैच के दौरान पहले हाफ में टीम प्रयासरत भी दिखी, लेकिन दूसरे हाफ में रीयल मैड्रिड की टीम हावी रही और गोल दागकर मैच भी अपने नाम कर लिया।

मैच के बाद लिवरपूल के मैनेजर जर्गन क्लोप ने कहा, ‘टीम को शानदार प्रदर्शन की जरूरत थी, लेकिन वह काफी औसत थे। रीयल मैड्रिड की टीम अधिक मजबूत थी और उनका आगे बढ़ना कोई हैरानी की बात नहीं है।’

अन्य मुकाबलों में नेपोली ने फ्रैंकफर्ट को 3-0 से हराकर चैंपियंस लीग के क्वार्टर फाइनल में जगह बनाई। वह अंतिम आठ में पहुंचने वाली तीसरी इटालियन टीम है।

जियानी इंफेंटिनो फिर से फीफा अध्यक्ष चुने गए

जियानी इंफेंटिनो को गुरुवार को सर्वसम्मति से 2027 तक फिर से फीफा अध्यक्ष के चुना गया। इंफेंटिनो के विरोध में कोई उम्मीदवार नहीं था और उन्होंने 211 महासंघों की कांग्रेस में औपचारिक मतदान के बजाय सर्वसम्मति से अगले चार वर्ष के लिए भी यह पद संभाला।

स्विट्जरलैंड के वकील इंफेंटिनो को पहली बार 2016 में फीफा का अध्यक्ष चुना गया था। उस समय फीफा भ्रष्टाचार के आरोपों से जूझ रहा था। इस कारण तत्कालीन फीफा अध्यक्ष सेप ब्लाटर को इस पद के लिए चुने जाने के कुछ महीनों बाद ही बर्खास्त कर दिया गया था।

इंफेंटिनो के कार्यकाल में फीफा की आमदनी में बढ़ोतरी हुई जबकि राष्ट्रीय टीमों को पुरुष और महिला विश्वकप के लिए क्वालीफाई करने के अधिक मौके मिले। उन्हें इस बीच यूरोपीय फुटबाल के अधिकारियों का विरोध भी सहना पड़ा

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