अंधेरे में रायसेन डिवीजन 6 करोड़ 60 लाख रुपए बकाया, काट दी 42 गांवों की बिजली; चिमनी की रोशनी में पढ़ाई
हम इस समय आदिवासी गांव बरखेड़ा सेतू में खड़े हैं, जो उद्योग नगरी मंडीदीप से 12 किलोमीटर दूर स्थित है। शाम का समय है। सूर्यास्त हो चुका है। इस समय 6:42 बज चुके हैं। हल्का हल्का अंधेरा भी होने लगा है, लेकिन कहीं भी घरों में लाइट जलती नजर नहीं आ रही है। गांव के हिर्देश से पूछा तो उन्होंने बताया कि 5 दिन से गांव की लाइट कटी पड़ी है। इस कारण गांव में अंधेरा छाया हुआ है। 50 घरों की इस आदिवासी बस्ती की जनसंख्या करीब 230 है।
जहां की बिजली बिल जमा न करने के कारण विद्युत वितरण कंपनी ने पूरे गांव का ही बिजली कनेक्शन काट दिया है। वहीं रायसेन डिवीजन के 42 गांव भी दो दिन से अंधेरे में डूबे है। हिर्देश बताते हैं कि गांव में लाइट न होने से 10वीं और 12वीं में पढ़ने वाले बच्चे प्रभावित हो रहे हैं। लोगों से पूछा गया कि यह स्थिति कैसे बनी तो अमर सिंह और सीताराम बताते हैं कि बिजली कंपनी के अधिकारियों ने 5 लाख रुपए का बिजली बिल बकाया होने का हवाला देकर पूरे गांव की ही लाइट काट दी। जबकि हमारे हिसाब से ज्यादा से ज्यादा एक से डेढ़ लाख रुपए का बिल बकाया होगा। उन्होंने बताया कि गांव में 5 दिन से लाइट नहीं है। हमने अधिकारियों से फसल काटने के बाद बकाया बिल जमा करने का निवेदन किया था, लेकिन उन्होंने हमारी एक न सुनी और लाइट काट दी।
छह हजार से ज्यादा लोगों ने जमा नहीं किया बिल
रायसेन डिवीजन के 42 गांवों के लोगों पर करीब 6 करोड़ 60 लाख रुपए की राशि बकाया है। ग्रामीण यंत्री संजय सिंह पटेल ने बताया कि इन गांवों के 6 हजार से ज्यादा ग्रामीणों ने बिजली बिल जमा नहीं कराया है। राशि जमा नहीं होने की स्थिति में इन गांवों की लाइट काटी गई है, ताकि गांव के लोग बिल की राशि जमा करवा दें।
नल जल योजना भी ठप- एक हैंडपंप के सहारे सैकड़ों ग्रामीण
गांव की सुमन और शकुन बाई बताती हैं कि गांव की लाइट कट जाने से पंचायत की नल जल योजना ठप हो गई है। गांव में एकमात्र हैंडपंप है। जिस पर पूरा गांव निर्भर हो गया है। उन्होंने बताया कि इस समय फसल कटाई का काम चल रहा है, लेकिन खेत पर जाने से पहले पानी लेने जाना पड़ता है।