अबकी बार पढ़े-लिखों की सरकार:जयपुर की 10 नगरीय निकायों में 40 फीसदी अध्यक्ष-उपाध्यक्ष ग्रेजुएट, 70 फीसदी 50 से कम उम्र के
गहलोत सरकार ने भले ही निकाय और पंचायत चुनावों में न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता की अनिवार्यता को हटा दिया हो, लेकिन इसका इस बार हुए निकाय चुनावों में कोई खास प्रभाव देखने को नहीं मिला। इस बार जनता ने पढ़े-लिखे, युवा और अनुभवी को जीताकर भेजा हैं। यही कारण रहा कि इस बार चैयरमेन, वाइस चैयरमेन पद पर 70 फीसदी ऐसे चुनकर आए है, जो 50 साल से कम उम्र के हैं। वहीं एज्यूकेशन की बात करें तो 40 प्रतिशत ग्रेजुएट हैं।
जयपुर में सोमवार को 10 नगर पालिकाओं के चुनाव प्रक्रिया संपन्न हो गए। इन सभी निकायों में कोटपूतली को छोड़कर शेष सभी 9 नगर पालिकाओं में चुने गए अध्यक्ष 8वीं से ग्रेजुएट पास हैं। जीतकर आए 10 में से 4 चेयरमैन ग्रेजुएट या पोस्ट ग्रेजुएट हैं, जबकि चार अध्यक्ष 10th पास हैं। इसके अलावा एक 8वीं पास, जबकि एक साक्षर हैं। वहीं उपाध्यक्षों की बात करें तो 10 में से 4 ग्रेजुएट हैं। जबकि तीन उपाध्यक्ष 12वीं पास, एक 10वीं, एक 9वीं और एक 8वीं पास हैं।
आपको बता दें कि इससे पहले वसुंधरा सरकार में नगरीय निकाय चुनावों लड़ने के लिए शैक्षणिक योग्यता 10वीं पास अनिवार्य थी, लेकिन फरवरी 2019 में गहलोत सरकार ने नियमों में संशोधन करके न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता को हटा दिया था।
अध्यक्ष में सुमिता और उपाध्यक्ष में रामेश्वर सबसे युवा, दोनों विराट नगर से
इन सभी 10 निकायों में चुनकर आए अध्यक्ष व उपाध्यक्ष की आयु संबंध में बात करें तो सुमिता सैनी (24) सबसे कम उम्र की अध्यक्ष बनी हैं। जबकि रामेश्वर प्रसाद (30) साल के सबसे कम आयु के उपाध्यक्ष जीते हैं। खासबात ये हैं कि दोनों ही विराटनगर नगर पालिका से जीतकर आए हैं।