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सरकारी और अशासकीय स्कूलों में शिक्षकों के खाली पदों को भरने का फार्मूला तैयार

प्रदेश के सरकारी और अशासकीय स्कूलों में शिक्षकों के खाली करीब पांच हजार पदों को अस्थाई शिक्षकों से भरने का विभाग ने फार्मूला तैयार कर लिया है। शिक्षा महानिदेशक बंशीधर तिवारी के मुताबिक ब्लॉक स्तर पर मेरिट लिस्ट तैयार कर इन शिक्षकों की स्कूल स्तर से तैनाती होगी। जिसमें हाईस्कूल के शिक्षकों को दो सौ रुपये और इंटरमीडिएट को 250 रुपये प्रति पीरियड के हिसाब से मानदेय दिया जाएगा।

प्रदेश के अशासकीय स्कूलों में शिक्षक भर्ती पर पिछले एक साल से रोक लगी है। शिक्षकों की नियुक्तियां न होने से इन स्कूलों में शिक्षकों के आठ सौ से अधिक पद खाली हैं। जबकि सरकारी स्कूलों में अधीनस्थ सेवा चयन आयोग और राज्य लोक सेवा आयोग को शिक्षक भर्ती के प्रस्ताव के बाद भी समय पर शिक्षक नहीं मिल पा रहे हैं।

सीधी भर्ती के नियमित शिक्षकों की नियुक्ति में देरी से इन स्कूलों में शिक्षकों के लगभग चार हजार से अधिक पद खाली हैं। जिसे देखते हुए विभाग ने नियमित नियुक्ति के शिक्षक न मिलने तक सरकारी और अशासकीय स्कूलों में अस्थाई शिक्षकों की तैनाती का निर्णय लिया गया है। जिन्हें प्रति पीरियड के हिसाब से मानदेय दिया जाएगा।

शिक्षा महानिदेशक बंशीधर तिवारी के मुताबिक यदि कोई शिक्षक एक दिन में चार पीरियड पढ़ाता है तो उसे एक हजार रुपये मिलेंगे। सरकारी स्कूलों में अस्थाई शिक्षकों की तैनाती का प्रस्ताव शासन को भेजा जा चुका है। इन स्कूलों में स्कूल प्रधानाचार्य अपने स्तर से प्रति पीरियड के हिसाब से शिक्षकों की तैनाती कर सकेंगे। सरकारी स्कूलों के बाद अब अशासकीय स्कूलों के लिए भी इस तरह की व्यवस्था किए जाने तैयारी है।

प्रदेश के अशासकीय स्कूलों को प्रोत्साहन राशि के रूप में दी जाने वाली टोकन मनी को भी बढ़ाने की तैयारी है। इसे बढ़ाकर दोगुना किया जा सकता है। शिक्षा निदेशालय ने शासन को जो प्रस्ताव भेजा है, उसके मुताबिक प्राथमिक विद्यालयों को एक लाख की जगह दो लाख, जूनियर हाईस्कूलों को दो की जगह चार लाख और माध्यमिक विद्यालयों को तीन की जगह छह लाख रुपये दिए जाने का प्रस्ताव है।

प्रदेश के सरकारी और अशासकीय स्कूलों में खाली पदों पर अस्थाई शिक्षकों की तैनाती का प्रस्ताव है। इनकी तैनाती के दौरान छात्र संख्या को देखते हुए प्रति पीरियड के हिसाब से इन्हें मानदेय दिया जाएगा। -बंशीधर तिवारी, शिक्षा महानिदेशक

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