उत्तराखंड में सड़क दुर्घटनाओं के दौरान होने वाली मृत्यु दर को कम करने और जन जागरूकता के उद्देश्य से एम्स ऋषिकेश की ओर से राज्य के विभिन्न क्षेत्रों के लिए ट्रॉमा रथ रवाना किया गया। यह रथ सप्ताहभर तक राज्य के विभिन्न कॉलेज और अस्पतालों में जाकर आघात चिकित्सा के प्रति लोगों को जागरूक कर दुर्घटनाओं को रोकने के लिए प्रशिक्षित करेगा।
बुधवार को वर्ल्ड ट्राॅमा डे पर एम्स की कार्यकारी निदेशक प्रो. मीनू सिंह और चिकित्सा अधीक्षक प्रो. संजीव कुमार मित्तल ने हरी झंडी दिखाकर ट्रॉमा रथ को रवाना किया। प्रो. मीनू सिंह ने कहा कि सड़कों पर वाहनों के अत्यधिक दबाव और चालकों के अनुभव की कमी से देशभर में सड़क दुर्घटनाओं, चोटों और मानसिक बीमारियों की दर लगातार बढ़ रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार ट्रॉमा विश्वभर में मृत्यु और विकलांगता का सबसे बड़ा कारण है। आम लोगों को मुश्किल परिस्थितियों में इससे निपटने की जानकारी और प्रशिक्षण मिल जाए तो काफी हद तक दुर्घटना के दौरान होने वाली आकस्मिक मृत्युदर और विकलांगता को रोका जा सकता है।
ट्राॅमा विभाग के हेड प्रो. कमर आजम ने बताया कि आम जनमानस को जागरूक करने के उद्देश्य से ही एम्स के ट्राॅमा रथ को राज्य के विभिन्न क्षेत्रों के लिए रवाना किया गया है। कार्यक्रम में यूएसए की रटगर यूनिवर्सिटी से आए ट्राॅमा विभागाध्यक्ष डाॅ. मयूर नारायण और डाॅ. हनाह जोजफ और ट्राॅमा काॅलेज निदेशक डायना लिसा ने भी प्रतिभाग किया।
एम्स ऋषिकेश से रवाना हुआ ट्राॅमा रथ बुधवार को क्षेत्र के विभिन्न काॅलेजों में पहुंचा। केंद्रीय विद्यालय आईडीपीएल पहुंचने पर ट्राॅमा विशेषज्ञों ने छात्र-छात्राओं व शिक्षकों को नुक्कड़ नाटक और डेमोस्ट्रेशन के माध्यम से सड़क सुरक्षा संबंधी जानकारियां दीं। साथ ही दुर्घटनाओं को रोकने, यातायात नियमों का पालन करने और आघात चिकित्सा के प्रति प्रशिक्षण भी दिया।
सप्ताहभर तक चलने वाले अभियान के दौरान ट्रॉमा रथ में मौजूद ट्रॉमा विशेषज्ञ और डॉक्टर्स राज्य के विभिन्न मेडिकल काॅलेजों, इंटर काॅलेज और अस्पतालों में पहुंचकर हेल्थ केयर वर्करों, छात्र-छात्राओं और आम लोगों को ट्रॉमा के प्रति जागरूक कर उन्हें आघात चिकित्सा का प्रशिक्षण देंगे। – डॉ. मधुर उनियाल, ट्रॉमा रथ प्रभारी व आयोजन सचिवI