हैग्जिन के जहर से जहरीली हुई क्वारी, अब नाम मिला मौत की नदी
मुरैना। जी, हां आपने मौत का कुआ, मौत की खाई, मौत का झरना और यहां तक कि, मौत का सागर जैसे नाम बहुत सुने होंगे, लेकिन मौत की नदी यह नाम पहली बार सुनने में आया है। यह नाम सुनने और बोलने में बड़ा अजीव लगता है, लेकिन लाखों जीवों की जान लेने के कारण इस नदी को यह नाम मिला है। बात हो रही है मुरैना की जीवन दायिनी कहलाने वाली क्वारी नदी की। हैग्जिन के जहत से क्वारी नदी जहरीली हो गई है। इस नदी के पानी स्व अपनी प्यास बुझाने वाले लाखों जलीय तथा वन्य जीव अकाल ही काल का ग्रास बन रहे है। यदि जल्द ही इसका कोई हल नहीं निकाला गया तो, यह पालतू दुधारू पशुओं के माध्यम से मनुष्यों को भी अपनी चपेट के ले सकती है। हैग्जिन नामक यह जहर ऑइल मिल फैक्ट्रियों से वेस्टेज पानी के साथ नाले के रूप में बहकर नदी में आ रहा है। ऐसा नहीं है कि, इसकी खबर जिम्मेदार अधिकारियों को नहीं हैं। फैक्ट्री संचालकों के रसूख के आगे उनका कानून बौना साबित हो रहा है। अधिकारी जांच के नाम पर कार्यवाही का आश्वासन देकर अपना पल्ला झाड़ लेते है।
जानकारी के अनुसार पूरी दुनिया मे मस्टर्ड ऑयल के लिए मशहूर मुरैना जिले में तेल मिलो की संख्या सैकड़ो में है। अगर हम मुरैना शहर की बात करें तो यहां पर छोटे-बड़े सभी को मिलाकर करीब एक सैकड़ा तेल मिल है। इनमें से कुछ गिने-चुने बड़ी फर्म वाले तेल मिल मालिक रिफायनरी का काम भी करते है। सरल शब्दों में समझा जाये तो सरसो के तेल में राइस ब्रान या अन्य सस्ती रेट वाले खाद्य तेलों को मिलाकर रिफाइंड बनाते है। सूत्रों के अनुसार पिराई के बाद सरसो की खली में करीब 5-6 प्रतिशत तेल की मात्रा शेष रह जाती है। खली से इस तेल को निकालने के लिए तेल मिल मालिक हैग्जिन करजोनिक नामक कैमिकल का इस्तेमाल करते है। बताते है कि, यह कैमिकल एक अच्छा साल्वेंट होता है। जो आसानी से सभी प्रकार के तेल में घुल जाता है। यह कम तापमानपर ऑइल को भाप में बदल देता है। चूंकि खली से तेल निकालने के लिए 63 से 65 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है। यदि फैक्ट्री मालिक इसे बिना कैमिकल की मदद से निकालते है तो, इसके लिए बिजलीं की खपत अधिक होगी, जो उनकी जेब ढीली कर देगी। इसलिए पैसा बचाने के लिए फैक्ट्री मालिक हैग्जिन करजोनिक कैमिकल का उपयोग करते है। कम तापमान पर ऑयल को आसानी से भाप में बदलने की वजह से इसे नैरो बोइलिंग पॉइंट भी कहते है। खली से तेल निकलने के बाद यह वेस्टेज पानी के साथ स्पेंट वाच के रूप में निकल जाता है। जानकारों के अनुसार यह कैमिकल बैसे तो कैंसर जनित होता है, लेकिन रिफाइनरी की प्रक्रिया के बाद खाद्य तेल में इसका कोई असर नहीं रहता है। इसका पूरा जहरीला पदार्थ स्पेंट वाच के रूप में तेल से अलग होकर पानी के साथ निकल जाता है। फैक्ट्री मालिक इस जहरीले पानी को एवूलेशन ट्रीटमेंट प्लांट में डालने की जगह इसे टैंकर में भरकर ले जाते है, और क्वारी नदी में फेंक देते है। इस प्रकार से यह नदी के पानी मे मिलकर पूरी नदी को जहरीला कर देता है। इसका असर हाईवे स्थित क्वारी नदी पुल से करीब 10 किलो मीटर दूर तक अधिक बताया गया है। जहरीले पानी की बजह से रोजाना पंखों की संख्या में मछलियां तथा अन्य जलीय जीवों की मौत हो रही है। इसके अलावा नदी का पानी पीने से वन्य जीव तथा आसपास के गांवों में रहने वाले किसानों के पालतू तथा दुधारू पशु भी गंभीर बीमारियों की चपेट में आ रहे है। दुधारू पशुओं के माध्यम से मनुष्यों में भी गंभीर संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ गया है। ऐसा नहीं है कि, यह बात अधिकारियों की आंखों से छिपी हो, बल्कि कई बार न्यूज़ पेपर व समाज सेवियों के माध्यम से उनकी नजर में भी आ चुकी है, लेकिन फैक्ट्री मालिकों के रसूख के चलते उनका कानून धरा रह जाता है। इस जहरीले पानी की बजह से नदी में रोजाना लाखो की संख्या मछलियां तथा अन्य जलीय जीवों की मौत हो रही है। उधर इसका खामियाजा नदी किनारे बसे ग्रामीणों पर पड़ रहा है। ग्रामीण अपने पालतू तथा दुधारू मवेशियों को चराने के लिए जंगल मे ले जाते है। यहां जंगल मे घास चरने के बाद जानवर पानी पीने के लिए क्वारी नदी में जाते है। नदी का जहरीला पानी पीने से पालतू पशुओं में भी संक्रमण का खतरा बढ़ रहा है। बताते है।कि, क्वारी नदी का जहरीला पानी पीने से सैकड़ो किसानों के पालतू तथा दुधारू पशु गंभीर बीमारी की चपेट में आ गए है। आहार जल्द ही इस समस्या का निदान नहीं किया गया तो, दुधारू पशुओं के माध्यम स यह बीमारी मनुष्यो में भी फैल सकती है। जो आने वाले समय मे लोगों के जीवन के लिए बड़ा खतरा पैदा कर सकती है। इस मामले में एडीएम सीबी प्रसाद का कहना है कि, नदी का पानी किसी केमिकल के कारण ऐसा हुआ है। यह बेहद गंभीर मामला है। अभी चुनाव में सारे अधिकारी व्यस्त हैं। जल्द ही हम इसकी जांच करवाएंगे। इसके लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्यवाही की जाएगी।