नए साल पर प्रदेश के लोग हिमाचल पथ परिवहन निगम (एचआरटीसी) बसों में किराये का कैशलेस भुगतान कर सकेंगे। एचआरटीसी की नई हाईटेक ई-टिकटिंग मशीनों की जांच 25 दिसंबर से शुरू होगी। निगम के चार मंडलों के चार चयनित डिपो में 20 दिन यूजर्स एक्सेपटेंस टेस्टिंग (यूएटी) की जाएगी। इसके बाद आवश्यकता अनुसार मशीनों के सॉफ्टवेयर में बदलाव होगा। शिमला मंडल के तहत शिमला लोकल डिपो, धर्मशाला मंडल के तहत पालमपुर डिपो, हमीरपुर मंडल के तहत हमीरपुर डिपो और मंडी मंडल के तहत सुंदरनगर डिपो में ई-टिकटिंग मशीनों का ट्राॅयल होगा। 15 फरवरी से सभी परिचालकों को ई-टिकटिंग मशीनें उपलब्ध करवा दी जाएंगी।
कैशलेस भुगतान की सुविधा शुरू करने के लिए एचआरटीसी ने 4,500 एंड्रॉयड टिकटिंग मशीनें खरीदी हैं। ई-टिकटिंग मशीनों के जरिये यात्री यूपीआई के अलावा गूगल पे, पेटीएम, फोन पे या भीम एप से भी किराये का भुगतान कर सकेंगे। क्यूआर कोड स्कैन कर डिजिटल भुगतान भी कर सकेंगे। एचआरटीसी के खाते में पैसा आते ही मशीन टिकट बनाकर देगी। यात्री के बैंक खाते से पैसा सीधे एचआरटीसी के खाते में जमा होगा। इससे खुले पैसे की समस्या भी हल हो जाएगी। नई ई-टिकटिंग मशीन में किराये के भुगतान के तीन विकल्प मौजूद होंगे।
यात्री क्यूआर कोड स्कैनिंग, एटीएम कार्ड स्वैपिंग या नकदी देकर किराये का भुगतान कर सकेंगे। निगम की वोल्वो, विद्युत चालित, एसी, नॉन एसी, सुपर फास्ट और साधारण सभी श्रेणी की बसों में यह सुविधा उपलब्ध करवाई जाएगी। 2010 में एचआरटीसी ने बसों में यात्रियों को मैनुअल टिकटें जारी करने के स्थान पर टिकटिंग मशीनों का प्रयोग शुरू किया था। मौजूदा समय में निगम के कंडक्टर लगभग 13 साल पुरानी मशीनें इस्तेमाल कर रहे हैं।
निगम की 3,300 बसें रोजाना 3,800 रूटों पर संचालित होती हैं और करीब दो करोड़ कमाई करती हैं। मौजूदा समय में कंडक्टर रूट से लौटने के बाद कैश काउंटर पर पैसा जमा करते हैं और इसके बाद पैसा बैंक में जमा होता है। अब टिकट जारी होते ही पैसा सीधे निगम के बैंक खाते में जमा हो जाएगा। निगम की बसों में सफर करने वाले यात्रियों की मानीटरिंग भी सीधे मुख्यालय से हो सकेगी।
25 दिसंबर से ई-टिकटिंग मशीनों की यूजर्स एक्सेपटेंस टेस्टिंग (यूएटी) शुरू कर दी जाएगी। निगम के 4 मंडलों के 4 चयनित डिपो में इन मशीनों का ट्रायल होगा। फरवरी से सभी कंडक्टरों को नई मशीनें उपलब्ध करवा दी जाएंगी।– रोहनचंद ठाकुर, प्रबंध निदेशक, एचआरटीसी