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मुश्किल होगा लाइसेंस बनवाना, ड्राइविंग टेस्टिंग ट्रैक की डीपीआर मंजूर

हल्द्वानी। वाहन चालकों को लाइसेंस लेने के लिए अब कड़ी परीक्षा से गुजरना होगा। विशेषकर पहाड़ पर चलने के लिए टेस्ट में खरा उतरने के बाद ही लाइसेंस मिल पाएगा। परिवहन विभाग के ऑटोमेटिक ड्राइविंग टेस्टिंग ट्रैक सेंटर की डीपीआर को शासन ने मंजूरी दे दी है। परिवहन विभाग में चारपहिया या दो पहिया वाहन का लाइसेंस बनाने के लिए हर दिन सैकड़ों लोग पहुंचते हैं। लाइसेंस बनाने की प्रक्रिया में ड्राइविंग टेस्ट भी लिया जाता है। मगर फिलहाल संभागीय परिवहन विभाग के पास टेस्टिंग ट्रैक ही नहीं है। आरटीओ कार्यालय के सामने ही पार्किंग स्थल पर वाहनों को आगे-पीछे करवाकर और पार्किंग करवाकर टेस्ट लिया जा रहा है। इस कारण ड्राइवर की स्किल का पूरी तरह से पता नहीं चल पाता है। इसके लिए परिवहन विभाग ने गौलापार में ऑटोमैटिक ड्राइविंग टेस्टिग ट्रैक सेंटर बनाए जाने का प्रस्ताव भेजा था जिसे मंजूरी मिलने के बाद निर्माणदायी संस्था उत्तराखंड पेयजल निर्माण निगम ने 9.93 करोड़ रुपये की डीपीआर बनाकर शासन को भेजी थी। आरटीओ संदीप सैनी ने बताया कि शासन ने डीपीआर को मंजूरी दे दी है। अब अगले डेढ़ से दो साल में ऑटोमैटिक ड्राइविंग टेस्टिग ट्रैक सेंटर बनकर तैयार हो जाएगा। इस ट्रैक के बनने के बाद वाहनों के लाइसेंस के लिए लोगों को कठिन परीक्षा से गुजरना पड़ेगा। इसमें कंप्यूटराइज्ड तरीके से परीक्षा होगी। पहाड़ पर वाहन चलाने के लिए लाइसेंस बनाने वालों का भी इसमें अलग से टेस्ट होगा। साथ रेड लाइट, पार्किंग करना, 8 बनाने जैसे टेस्ट भी होंगे। इस सेंटर में एक वाहन चालक की टेस्टिंग में 8 से 9 मिनट लगेंगे।

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