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राजस्थान में अब उपचुनाव की चुनौती:तीन माह में प्रदेश के 4 विधायकों का निधन, अब चारों सीटों पर होंगे उपचुनाव, कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती

ल्लभनगर से कांग्रेस विधायक गजेंद्र सिंह शक्तावत के निधन के बाद अब तक विधानसभा में 4 सीटें खाली हो गई हैं। 3 माह में कांग्रेस के 3 और भाजपा के एक विधायक का ​निधन हो चुका है। इस तरह से प्रदेश में विधानासभा की 4 सीटें खाली हो चुकी हैं, इन 4 सीटों पर अब उपचुनाव होंगे। कांग्रेस और भाजपा दोनों पार्टियों के सामने उपचुनाव की चुनौती है, लेकिन सबसे बड़ी चुनौती सत्ताधारी कांग्रेस के सामने है, क्योंकि 4 में से 3 सीटों पर उसके विधायक थे। हालांकि, बहुमत के गणित पर इसका असर नहीं पड़ेगा।

अक्टूबर में सहाड़ा से कांग्रेस विधायक कैलाश त्रिवेदी, फिर नवंबर में सुजानगढ़ से कांग्रेस विधायक और सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्री मास्टर भंवरलाल और राजसमंद से भाजपा विधायक किरण माहेश्वरी का निधन हो चुका है। विधानसभा में कांग्रेस के विधायकों की संख्या अब 107 से घटकर 104 रह गई है। विधानसभा में कांग्रेस के विधायक 104, भाजपा के 71,आरएलपी के 3, निर्दलीय 13, सीपीएम के 2, बीटीपी के 2 और आरएलडी का एक विधायक है।

सत्ता पर असर नहीं, कांग्रेस के अंदरूनी समीकरण हो सकते हैं प्रभावित

चार सीटों पर होने वाले उपचुनावों के नतीजे कांग्रेस के अंदरूनी सत्ता समीकरण भी तय करेंगे। अगर चार सीटों पर कांग्रेस जीतती है तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत मजबूत होकर उभरेंगे, अगर कांग्रेस हारी तो सरकार के कामकाज और सीएम गहलोत पर सवाल उठेंगे। भाजपा के लिए भी उपचुनाव का प्रदर्शन अहम होगा। भाजपा अगर उपचुनावों में बेहतर प्रदर्शन करती है तो उसे सरकार को घेरने का मौका मिलेगा, साथ ही प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया, नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया का सियासी कद बढ़ेगा। अगर बीजेपी हारती है तो अंदरूनी खेमेबंदी और खींचतान और बढ़ सकती है।

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