दून जिला पंचायत का दायरा घटने के साथ ही इसका सीधा असर आमदनी पर भी पड़ा है। पहले की बजाय अब राजस्व का खजाना भी कम हो गया है। हालांकि अफसरों की ओर से राजस्व बढ़ाने के दावे किए जा रहे हैं। दरअसल, वर्ष 2018 में दून जिला पंचायत के 72 गांवों को नगर निगम में शामिल किया गया था। ऐसे में जिला पंचायत दून का दायरा काफी घट गया है। वहीं दिसंबर 2019 में जिला पंचायत का चुनाव 43 की बजाय 30 जिला पंचायत क्षेत्रों पर हुआ। दून पंचायत से छह दर्जन गांवों के बाहर होने से इसका सीधा असर राजस्व पर पड़ा है। पहले पंचायत का राजस्व जहां प्रतिवर्ष 2.50 करोड़ को पार कर जाता था। लेकिन अब ऐसा होता दिखाई नहीं दे रहा है। वहीं कोरोनाकाल के दो वर्षों में भी खजाने को अच्छी खासी चपत लगी है। विभागीय अधिकारियों ने बताया कि जिला पंचायत लदान-ढुलान, होर्डिंग/यूनिपॉल, लाइसेंस, दुकान, संपत्ति कर व शव निस्तारण (पशु) आदि मदों के माध्यम से कर के रूप में राजस्व प्राप्त होता है।
वित्त वर्ष 2021-22 में 1.87 व 2022-23 में 1.95 करोड़ के करीब ही राजस्व सिमट कर रह गया। जबकि मौजूदा वित्त वर्ष 2023-24 के नौ महीने से ज्यादा का समय बीत जाने पर 1.20 करोड़ रुपये का राजस्व हासिल हो सका है। उधर, अफसरों का कहना है कि वित्त वर्ष के अंतिम तक जिला पंचायत का राजस्व दो करोड़ तक पहुंच जाएगा।
जिला पंचायत का दायरा घटने से राजस्व पर इसका असर पड़ा है। वहीं बकायादारों से कर की वसूली की जा रही है। आगामी दिनों में कर वसूली को लेकर ओर तेजी बरती जाएगी। -प्राची रावत, कर अधिकारी, जिला पंचायत, देहरादून