Wed. Apr 30th, 2025

नैनो टेक्नोलॉजी में कोरिया के साथ मिलकर काम करेगा कुमाऊं विवि, ये है मुख्य उद्देश्य

कुमाऊं विश्वविद्यालय के प्रोफेसर राजेंद्र सिंह नैनो साइंस एंड नैनो टेक्नोलॉजी सेंटर रसायन विज्ञान विभाग और कोरिया इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (केआईएसटी) दक्षिण कोरिया के बीच करार हुआ है। रसायन विज्ञान विभाग के प्रो. नंद गोपाल साहू ने बताया कि इस समझौते का उद्देश्य पुनर्चक्रण योग्य सामग्रियों और प्लेटफार्म पर ध्यान देने के साथ ही नैनो साइंस और नैनो टेक्नोलॉजी में नवीन समाधान तलाशना है।

उन्होंने आगे कहा कि कुमाऊं विवि और केआईएसटी के बीच विद्वानों, शोधकर्ताओं और छात्रों के आदान-प्रदान को सुविधाजनक बनाना, अंतर-सांस्कृतिक शिक्षण वातावरण को बढ़ावा देना और विशेषज्ञता साझा करने को प्रोत्साहित करना इसके मुख्य उद्देश्य हैं।बता दें कि, अनुबंध के तहत रिसाइक्लेबल एयर मोबिलिटी मैटेरियल्स एंड प्लेटफॉर्म को लेकर समझौता किया गया है। द्विपक्षीय समझौता हस्ताक्षर में कुविवि के रजिस्ट्रार एवं निदेशक, आरडीसी एवं प्रभारी, नैनो साइंस एंड नैनो टेक्नोलॉजी सेंटर के प्रभारी प्रो. एनजी साहू तथा कन्वर्जेस रिसर्च सेंटर फॉर रिसाइक्लेबल एयर मोबिलिटी, मैटेरियल्स और केआईएसटी के प्लेटफॉर्म की ओर से महानिदेशक डॉ. योंग चाए जंग शामिल रहे।
प्रो. नंद गोपाल साहू ने कहा यह समझौता अनुसंधान सुविधाओं और प्रयोगशालाओं के पारस्परिक उपयोग की भी वकालत करता है। जिससे दोनों संस्थानों के शोधकर्ताओं को अत्याधुनिक उपकरणों और संसाधनों तक पहुंच प्राप्त हो सके। कहा कि यह समझौता सहयोगात्मक अनुसंधान परियोजनाओं को प्रोत्साहित करता है। दोनों संस्थानों के विद्वानों और शोधकर्ताओं को नैनो विज्ञान और नैनो प्रौद्योगिकी में अत्याधुनिक अनुसंधान पर एक साथ काम करने के लिए प्रोत्साहित करता है।

प्रो. साहू ने कहा कि केआईएसटी के साथ यह साझेदारी वैश्विक शैक्षणिक उत्कृष्टता को बढ़ावा देने की हमारी प्रतिबद्धता में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। इससे निस्संदेह दोनों संस्थानों के शैक्षणिक समुदाय को लाभ पहुंचेगा। केआईएसटी के डॉ. वाईसी जंग ने कहा कि कुमाऊं विवि के साथ सहयोग अनुसंधान और अकादमिक साझेदारी के लिए नए रास्ते खुले हैं। इस अवसर पर कुलसचिव दिनेश चंद्रा, उप कुलसिचव दुर्गेश डिमरी, आईक्यूएसी निदेशक प्रो. संतोष कुमार, विज्ञान संकायाध्यक्ष एवं विभागाध्यक्ष प्रो. चित्रा पांडे, उप निदेशक डॉ. मोहन लाल, डॉ. महेश आर्य, डॉ. दीपक कुमार आर्य आदि ने हर्ष व्यक्त की है।

यह करार अकादमिक प्रतिभा को बढ़ावा देने, सास्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देने और दोनों देशों के बीच अनुसंधान गठबंधन स्थापित करने में महत्वपूर्ण साबित होगा। यह निर्णय वैश्विक शिक्षा के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। – प्रो. डीएस रावत, कुलपति कुमाऊं विवि

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