दून अस्पताल के दंत रोग विभाग में अब नकली दांत और जबड़े लगने शुरू हो गए हैं। इसके अलावा दांतों के ऊपर ब्रिज बनाना और कैंसर मरीजों के लिए आर्टिफिशियल तालू भी बनाया जा रहा है। नकली जबड़ा और दांत बनाने के लिए अस्पताल में लैब उपलब्ध नहीं है लेकिन कम कीमत पर बाहर की लैब से दांत और जबड़े बनवा कर मरीजों को लगाए जा रहे हैं। इसके अलावा आरसीटी (दांत की नस का इलाज) पहले से चल रहा है।
दांत से जुड़ी समस्या के लिए मरीजों को भटकना नहीं पड़ेगा। दून अस्पताल के दंत रोग विभाग में अब लगभग सभी इलाज शुरू हो गए हैं। हालांकि अभी दून अस्पताल में दंत रोग विभाग की लैब न होने की वजह से मरीजों को दांत के जबड़े बनवाने के लिए बाहर की लैब जाना पड़ता है। दून अस्पताल में पूरे दांत का जबड़ा लगवाने का खर्च 1500 से 1700 तक आता है जबकि निजी अस्पताल में इसका खर्च 15000 तक आ जाता है।
दून अस्पताल के दंत रोग विभाग की डॉ. योगेश्वरी कृष्णन ने बताया कि आमतौर पर बुजुर्गों को पूरा जबड़ा लगवाने की जरूरत पड़ती है, जब बुढ़ापे में उनके दांत गिर जाते हैं। लेकिन पहाड़ों से आने वाली महिलाओं को 40 साल की उम्र में दांत लगवाने की जरूरत पड़ रही है। यहां की महिलाएं जबड़े लगवाने दून अस्पताल आ रही हैं।
अस्पताल में दांत की कैप और ब्रिज बनाने का काम भी शुरू हो गया है। दांत के बीच से जब एक दांत निकल चुका होता है तो आसपास के दोनों दांत का सहारा लेकर खाली जगह के ऊपर एक ब्रिज बनाया जाता है। इसके अलावा खराब दांत की सफाई करके कैप लगाया जाता है। आंशिक जबड़े में एक दांत की कीमत 100 से 150 और कैप के लिए 500 से 700 का खर्च आता है।
कैंसर मरीजों के लिए आर्टिफिशियल तालू
कैंसर के मरीजों के लिए आर्टिफिशियल तालू बनाने का काम डॉ. योगेश्वरी खुद करती हैं। इसके लिए मरीज को 200 और 250 का खर्च उठाना पड़ता है
अस्पताल के दंत रोग विभाग में काम तेजी से चल रहा है। इसके अलावा लैब बनाने के लिए भी तेजी से काम चल रहा है। जल्द ही लैब बन जाएगी। – डॉ. अनुराग अग्रवाल, एमएस, दून अस्पतालI