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कैसे बुझेगी आग, 22 किमी दूर से बुलाना पड़ता है दमकल वाहन

नीलकंठ मंदिर क्षेत्र में अग्निशमन केंद्र न होने से आग लगने की घटना होने पर भगवान भरोसे ही रहना पड़ता है। आग लगने पर 22 किलोमीटर दूर लक्ष्मणझूला से दमकल के वाहन पहुंचने का इंतजार करना पड़ता है। जब तक वाहन पहुंचता है तब तक सब कुछ जलकर राख हो चुका होता है।
नीलकंठ धाम में प्रति वर्ष लाखों श्रद्धालु दर्शन करने के लिए आते हैं। सावन मास में कांवड़ यात्रा को छोड़ दिया जाय तो पूरे साल भर अग्नि सुरक्षा के कोई इंतजार नहीं किए जाते हैं। ऋषिकेश और हरिद्वार की यात्रा करने वाले नीलकंठ मंदिर में दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं। इससे हर दिन लक्ष्मणझूला-नीलकंठ मार्ग पर वाहनों की लाइनें लगी रहती है। यदि रास्ते में किसी वाहन पर आग लगती है तो अग्निशमन विभाग के वाहन आने से पहले वाहन राख हो जाता है। नीलकंठ क्षेत्र में एक इंटर कॉलेज, एक राजकीय प्राथमिक विद्यालय, नीलकंठ मंदिर, 20 रेस्टोरेंट, 30 लॉज, 70 दुकानें स्थायी, 80 अस्थायी दुकानें, तीन निजी पार्किंग, एक पीडब्ल्यूडी की पार्किंग, एक मौन गांव की पार्किंग समेत आठ पार्किंग हैं। इन सभी पार्किंग में प्रति दिन 2000 वाहन से अधिक पार्क होते हैं। वीकेंड पर तो 22 किलोमीटर का सफर करने में एक घंटे से ज्यादा लग जाता है। संवाद
सामाजिक कार्यकर्ता अवनीश नौटियाल, नीलकंठ मंदिर समिति के सचिव धन सिंह राणा, देवेंद्र शर्मा,नीरज पयाल, महिपाल पयाल, सुमित रौथाण और रविंद्र नेगी ने कहा कि नीलकंठ मंदिर के दर्शन के पूरे साल भर यात्री आते हैं। यहां कई व्यावसायिक प्रतिष्ठान भी हैं। ऐसे में यहां पर अग्निशमन केंद्र खोला जाना चाहिए।

लक्ष्मणझूला क्षेत्र में संकरी गलियां होने के कारण वहां पर छोटा वाहन आवंटित किया गया है। वाहन चालक सहित चार अग्निशमन कर्मचारी तैनात हैं। नीलकंठ में अग्निशमन केंद्र के लिए योजना बनाई जाएगी। – रमेश गौतम, अग्निशमन अधिकारी, कोटद्वार

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