Fri. Nov 22nd, 2024

अतीक के अंत का एक साल मंजर याद कर कांप उठता है कलेजा, खून से लथपथ जमीन पर पड़े थे अतीक-अशरफ; चश्मदीदों की बात

अतीक-अशरफ को लेकर पुलिस कॉल्विन अस्पताल के गेट से भीतर घुस रही थी। मीडियाकर्मी उनकी बाइट ले रहे थे। अचानक मीडियाकर्मियों की भीड़ में शामिल तीन युवकों ने गोलियां चलानी शुरू कर दी। वहां भगदड़ मच गई। जिसे जिधर रास्ता मिला, जान बचाने के लिए उधर भागा। गोलियों की तड़तड़ाहट बंद होने पर गेट की तरफ देखा तो अतीक-अशरफ खून से लथपथ जमीन पर पड़े थे।’ज्रिष्ठ मीडियाकर्मी पंकज श्रीवास्तव रविवार को जब ये बातें बता रहे थे तो उनके चेहरे पर खौफ के भाव थे। वह उन चश्मदीदों में शामिल हैं, जो अतीक-अशरफ हत्याकांड के वक्त कॉल्विन अस्पताल में मौजूद थे। उन्होंने बताया कि उस दिन का खौफनाक मंजर याद आते ही कलेजा कांप उठता है। खुशकिस्मती थी कि घटना में वह व अन्य मीडियाकर्मी साफ बच गए। वह बताते हैं कि हत्यारे पहले से ही अस्पताल में मौजूद थे और मीडियाकर्मी बनकर घूम रहे थे। कवरेज के लिए बाहर से भी कई मीडियाकर्मी पहुंचे थे और यही वजह है कि उन्हें कोई पहचान नहीं सका। पंकज बताते हैं कि बहुत सी आपराधिक घटनाओं का कवरेज किया, लेकिन इस तरह की घटना उन्होंने जिंदगी में पहले कभी नहीं देखी।

पंकज बताते हैं कि घटना के बाद कुछ समझ ही नहीं आया। फायरिंग बंद होने के बाद भी काफी देर तक आंखों के सामने वही दृश्य घूमता रहा। काफी देर तक सिर पकड़कर वहीं बैठा रहा। काफी देर बाद स्थिति सामान्य हो सकी।

अतीक और उसके भाई अशरफ की हत्या की जांच कर रहे न्यायिक आयोग ने नौ महीने तक पड़ताल की। 18 जनवरी को जांच रिपोर्ट कैबिनेट में पेश कर दी गई थी। फिलहाल, इसे सार्वजनिक नहीं किया गया है। आयोग ने जांच में हर बिंदु पर बेहद बारीकी से तफ्तीश की। हत्याकांड के चश्मदीदों समेत सैकड़ों गवाहों के बयान दर्ज किए। आयोग के सदस्य कई बार प्रयागराज आए और घटनास्थल समेत हत्याकांड से संबंधित स्थलों के चप्पे-चप्पे की जांच की।

हत्या के दो दिन बाद गठन

शासन ने 17 अप्रैल को इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति अरविंद कुमार त्रिपाठी की अध्यक्षता में जांच के लिए तीन सदस्यीय आयोग बनाया था। इसमें पूर्व डीजी इंटेलिजेंस सुबेश कुमार सिंह और पूर्व जिला न्यायाधीश बृजेश कुमार सोनी भी शामिल थे। आयोग ने जांच शुरू कर दी थी।हालांकि, सात मई को आयोग में इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायमूर्ति दिलीप बाबा साहब भोंसले और झारखंड उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायमूर्ति वीरेंद्र सिंह को भी शामिल किया। न्यायमूर्ति भोंसले को आयोग का अध्यक्ष बनाया गया। इस तरह सदस्यों की संख्या पांच हो गई।
सीन रिक्रिएट कर जाना था, क्या हुआ था उस दिन
आयोग के सदस्यों ने घटनास्थल पर सीन रीक्रिएट भी किया था। साथ ही विवेचना करने वाली एसआईटी के सदस्यों से भी पूछताछ की थी। जांच में सामने आए तथ्यों को कई बार परखा भी गया। कई बयानों को क्रॉस चेक भी किया गया। जिस होटल में कातिल ठहरे थे, वहां के स्टाफ से भी पूछताछ की गई। नौ महीने तक लंबी जांच, पूछताछ और बयानों को परखने के बाद आयोग ने जांच रिपोर्ट शासन को सौंपी थी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *