अतीक के अंत का एक साल मंजर याद कर कांप उठता है कलेजा, खून से लथपथ जमीन पर पड़े थे अतीक-अशरफ; चश्मदीदों की बात
अतीक-अशरफ को लेकर पुलिस कॉल्विन अस्पताल के गेट से भीतर घुस रही थी। मीडियाकर्मी उनकी बाइट ले रहे थे। अचानक मीडियाकर्मियों की भीड़ में शामिल तीन युवकों ने गोलियां चलानी शुरू कर दी। वहां भगदड़ मच गई। जिसे जिधर रास्ता मिला, जान बचाने के लिए उधर भागा। गोलियों की तड़तड़ाहट बंद होने पर गेट की तरफ देखा तो अतीक-अशरफ खून से लथपथ जमीन पर पड़े थे।’ज्रिष्ठ मीडियाकर्मी पंकज श्रीवास्तव रविवार को जब ये बातें बता रहे थे तो उनके चेहरे पर खौफ के भाव थे। वह उन चश्मदीदों में शामिल हैं, जो अतीक-अशरफ हत्याकांड के वक्त कॉल्विन अस्पताल में मौजूद थे। उन्होंने बताया कि उस दिन का खौफनाक मंजर याद आते ही कलेजा कांप उठता है। खुशकिस्मती थी कि घटना में वह व अन्य मीडियाकर्मी साफ बच गए। वह बताते हैं कि हत्यारे पहले से ही अस्पताल में मौजूद थे और मीडियाकर्मी बनकर घूम रहे थे। कवरेज के लिए बाहर से भी कई मीडियाकर्मी पहुंचे थे और यही वजह है कि उन्हें कोई पहचान नहीं सका। पंकज बताते हैं कि बहुत सी आपराधिक घटनाओं का कवरेज किया, लेकिन इस तरह की घटना उन्होंने जिंदगी में पहले कभी नहीं देखी।
पंकज बताते हैं कि घटना के बाद कुछ समझ ही नहीं आया। फायरिंग बंद होने के बाद भी काफी देर तक आंखों के सामने वही दृश्य घूमता रहा। काफी देर तक सिर पकड़कर वहीं बैठा रहा। काफी देर बाद स्थिति सामान्य हो सकी।