एनडीआरएफ ने 27 लोगों को बचाया, अभी भी टनल में फंसे हैं 50 लोग
चमोली । उत्तराखंड के चमोली जिले के जोशीमठ क्षेत्र के रेणी गांव में रविवार को एक ग्लेशियर के फटने के बाद आई बाढ़ में अब तक करबी 150 लोग हैं या उनके मृत होने की आशंका है। आईटीबीपी के जवान यहां लगातार राहत व बचाव कार्य में लगे हुए हैं। उत्तराखंड में एसडीआरएफ ने चमोली जिले में तपोवन बांध के पास की सुरंग में बचाव अभियान आज सुबह भी जारी है। एनडीआरएफ के डीजी एसएन प्रधान ने कहा कि 2.5 किमी लंबी सुरंग में बचाव कार्य जारी है और अभी तक 27 लोगों को बचा लिया गया है। उन्होंने कहा कि फिलहाल 153 लोग लापता हैं, साथ ही 40-50 लोग टनल में फंसे हुए हैं।
आईटीबीपी के प्रवक्ता विवेक कुमार पांडे ने बताया कि हमने दूसरी टनल के लिए सर्च ऑपरेशन तेज कर दिया है, वहां करीब 30 लोगों के फंसे होने की सूचना है। आईटीबीपी के 300 जवान टनल को क्लियर करने में लगे हैं, जिससे लोगों को निकाला जा सके। स्थानीय प्रशासन के मुताबिक 170 लोग इस आपदा में लापता हैं। वहीं चमोली पुलिस ने भी बताया कि टनल में फंसे लोगों के लिए राहत एवं बचाव कार्य जारी है। जेसीबी की मदद से टनल के अंदर पहुंच कर रास्ता खोलने का प्रयास किया जा रहा है। अब तक कुल 15 व्यक्तियों को रेस्क्यू किया गया है और अलग-अलग स्थानों से 14 शव बरामद किए गए हैं। वहीं वायु सेना के हेलिकॉप्टर भी राहत व बचाव कार्य के लिए लगा दिए गए हैं।
इधर उत्तरप्रदेश सरकार ने चमोली हादसे के बाद एहतियात के तौर पर 1000 किमी क्षेत्र में हार्ट अलर्ट घोषित कर दिया है। गंगा किनारे बसे शहरों व गांवों में लगातार सावधानी बरती जा रही है और लोगों को सावधान किया जा रहा है। गौरतलब है कि रविवार को उत्तराखंड के चमोली जिले के रैणी गांव में ग्लेशियर टूटकर ऋषिगंगा नदी में गिरा था, जिसके कारण तपोवन स्थित हाइड्रो पॉवर प्रोजेक्ट पूरी तरह से तबाह हो गया था और अचानक आई बाढ़ के कारण धौलीगंगा नदी में अचानक जलस्तर बढ़ गया था।
उत्तराखंड त्रासदी के लिए चीन जिम्मेदार
इधर उत्तराखंड त्रासदी के लिए चीन को भी जिम्मेदार माना जा रहा है। पद्मश्री से सम्मानित और ग्लेशियोलाजी, स्कूल आफ इंवायरमेंट साइंसेज जवाहर लाल यूनिवर्सिटी के पूर्व प्रोफेसर डॉ. इकबाल हसनैन ने उत्तराखंड त्रासदी के लिए चीन को जिम्मेदार माना है। उन्होंने कहा कि चीन अत्यधिक कार्बन उत्सर्जन कर रहा है। उनका कहना है कि हिमालय भारत और चीन के बीच है, दोनों देशों में कोयले का प्रयोग अधिक हो रहा है। ज्यादा कार्बन उत्सर्जन के कारण ग्लेशियर पिघलकर सिकुड़ रहे हैं तथा झीलें अधिक बन रही हैं। उन्होंने आशंका जताई कि दक्षिण मुहाना पहाड़ होने के कारण मलबे के दबाव के चलते कोई झील फटी है, जिस कारण उत्तराखंड में इस तरह की त्रासदी आई है।