राहुल को फिर कांग्रेस की कमान सौंपने की मांग / गहलोत ने कहा- देश की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए राहुल गांधी को कांग्रेस की बागडोर संभालनी चाहिए
जयपुर/नई दिल्ली. कांग्रेस में राहुल गांधी को एक बार फिर पार्टी अध्यक्ष बनाने की मांग तेज हो गई है। कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्ल्यूसी) की वर्चुअल मीटिंग में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशाेक गहलाेत ने राहुल को पार्टी की कमान सौंपने की मांग उठाई। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी को देश की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस की बागडोर संभालनी चाहिए। इसके बाद हरीश रावत समेत ज्यादातर नेताओं ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया।
हालांकि खुद राहुल और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। राहुल ने लोकसभा चुनाव में पार्टी की हार के बाद अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। मंगलवार को सीडब्ल्यूसी की बैठक में तीन प्रस्ताव पारित हुए और देश के मौजूदा राजनीतिक हालात पर विस्तार से चर्चा हुई।
लद्दाख पर सरकार- विपक्ष में टकराव
लद्दाख सीमा विवाद पर सोनिया ने कहा कि भारत-चीन सीमा विवाद, कोरोना और अर्थव्यवस्था से जुड़े संकट का मुख्य कारण एनडीए सरकार का कुप्रबंधन और उसकी गलत नीतियां हैं। इस तथ्य से इनकार नहीं किया जा सकता कि अप्रैल-मई 2020 से लेकर अब तक चीनी सेना ने पैंगोंग त्सो झील और गलवान घाटी में घुसपैठ की है। इस मामले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस बयान ने देश को झकझोर दिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि किसी ने भी लद्दाख में भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ नहीं की।
लॉकडाउन पर सोनिया ने कहा कि आर्थिक संकट और गहरा गया है। यह 1947-48 के बाद सबसे बड़ी मानवीय त्रासदी बन गई। करोड़ों प्रवासी मजदूर, दैनिक कर्मचारियों की रोजी-रोटी तबाह हो गई। राहुल ने कहा कि चीन ने बड़ी ढिठाई से हमारे क्षेत्र पर कब्जा कर लिया। प्रधानमंत्री ने चीन के इस रुख को स्वीकार करके हमारे रुख को नष्ट कर दिया।
भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने राहुल पर निशाना साधा
नड्डा ने एक ट्वीट में कहा कि कांग्रेस पहले चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करती है। फिर वह चीन को जमीन सौंप देती है। डोकलाम मुद्दे के दौरान राहुल गुपचुप तरीके से चीनी दूतावास जाते हैं। नाजुक स्थितियों में राहुल देश को बांटने और सशस्त्र बलों का मनोबल गिराने की कोशिश करते हैं। क्या ये सब एमओयू का प्रभाव है। कांग्रेस और चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ने अहम क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर एक दूसरे से परामर्श और उच्च स्तरीय संपर्क को लेकर 2008 में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे।