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48 साल के हुए सौरव गांगुली / पैरेंट्स ने नाम दिया था महाराज, बचपन में राइट हैंडर थे सौरव, भाई को देखकर लेफ्ट हैंडर हो गए; तेज गेंदबाज से ओपनर बन गए

टीम इंडिया के पूर्व ओपनर, कप्तान और फिलहाल बीसीसीआई के प्रेसिडेंट सौरव गांगुली आज 48 साल के हो गए हैं। क्रिकेट के मैदान और बाहर इस क्लासिक बैट्समैन को ‘दादा’ कहा जाता है। दादा यानी बड़ा भाई। गांगुली जब टीम इंडिया के कप्तान बने और बाद में जब इंग्लैंड के खिलाफ नेटवेस्ट ट्रॉफी जीतकर लॉर्ड्स के पवैलियन में टीशर्ट लहराई तो उनका अलग रूप सामने आया। तब इंग्लैंड के कप्तान नासिर हुसैन ने कहा था- मुझे आज पता लगा कि दादा का क्या अर्थ होता है। बहरहाल, यहां हम टीम इंडिया के इस पूर्व कप्तान से जुड़ी कुछ ऐसी बातों का जिक्र कर रहे हैं, जिन्हें शायद ज्यादा लोग न जानते हों।

लॉर्ड्स का रिकॉर्ड
गांगुली ने क्रिकेट के मक्का कहे जाने वाले लॉर्ड्स में टेस्ट डेब्यू किया था। 131 रन की पारी खेली। यह इस मैदान पर डेब्यू करते हुए किसी भी बल्लेबाज का सबसे बड़ा स्कोर है।

खुद का रेस्टोरेंट
कोलकाता के पार्क स्ट्रीट में सौरव का आलीशान रेस्तरां हैं। इसका नाम है ‘महाराजा सौरव्स- द फूड पैवेलियन’। सचिन तेंडुलकर ने 2004 में इसका इनॉगरेशन किया था। गांगुली के मुताबिक, उन्होंने सचिन के कहने पर ही यह रेस्टोरेंट शुरू किया।

महाराज से प्रिंस ऑफ कोलकाता
सौरव का परिवार शुरू से ही आर्थिक तौर पर मजबूत है। उनके पेरेंट्स ने सौरव का निकनेम ‘महाराज’ रखा था। इंग्लैंड के पूर्व कप्तान और मशहूर कमेंटेटर ज्यॉफ्री बॉयकॉट ने सौरव को ‘प्रिंस ऑफ कोलकाता’ नाम दिया।

राइट हैंडर से लेफ्ट हैंडर
मजे की बात यह है कि गांगुली जन्म से राइट हैंडर हैं। वो लिखते भी सीधे हाथ से हैं और खाना भी इसी हाथ से खाते हैं। भाई स्नेहाशीष लेफ्ट हैंडर थे। उनके क्रिकेट गियर (ग्लव्स और पैड्स आदि) इस्तेमाल करने के लिए दादा भी लेफ्ट हैंडर हो गए। बाद में क्या हुआ? यह सब जानते हैं। उन्हें दुनिया के बेहतरीन लेफ्ट हैंडर बैट्समैन में गिना जाता है। गांगुली ने क्रिकेट बतौर तेज गेंदबाज शुरू की। लेकिन, बाद में कामयाब बल्लेबाज बने।

भाई की जगह टीम में मिली थी जगह
1989 में स्नेहाशीष बंगाल की टीम से खेल रहे थे। कप्तान थे संबरन बनर्जी। हैदराबाद के खिलाफ सेमीफाइनल में स्नेहाशीष महज तीन रन पर आउट हो गए। संबरन ने सिलेक्टर्स से सौरव को मौका देने को कहा। वजह यह थी कि सौरव अच्छे गेंदबाज भी थे। यहीं उनका फर्स्ट क्लास डेब्यू हुआ। गांगुली ने अजहरउद्दीन की कप्तानी में टेस्ट डेब्यू किया। बाद में अजहर गांगुली की कप्तानी में 11 वनडे खेले।

डोना से शादी
सौरव की शादी डोना गांगुली से हुई। कहा जाता है कि दोनों परिवारों के संबंध अच्छे नहीं थे। लिहाजा, एक-दूसरे को बेइंतहा चाहने वाले सौरव और डोना की शादी में दिक्कत आई। हालांकि, बाद में सब ठीक हो गया।

श्रीनाथ से खास लगाव
जवागल श्रीनाथ को भारत के सबसे बेहतरीन तेज गेंदबाजों में गिना जाता है। वो तीन बार संन्यास लेना चाहते थे। लेकिन, तीनों बार गांगुली के कहने पर खेलने को तैयार हुए। अनिल कुंबले भी उनके सबसे अच्छे दोस्तों में से एक हैं।

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