विरोधी दल के बड़े नेताओं को तोड़कर अपने पाले में लाने की कोशिश में राजद, सीट शेयरिंग पर अगले महीने हो सकती है बैठक
बिहार विधानसभा चुनाव में महज ढाई महीने का वक्त बचा है। ऐसे में सभी पार्टियां अपनी स्थिति मजबूत करने में जुटी है। लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद राजद भी इस बात पर फोकस कर रहा है कि कैसे विरोधी दल के बड़े नेताओं को तोड़कर अपने पाले में लाया जाए। पिछले दिनों जदयू के श्याम रजक राजद में शामिल हो गए। हालांकि, इस बीच राजद को भी बड़ा झटका लगा जब लालू के समधी चंद्रिका राय समेत पार्टी के 6 बड़े नेताओं ने जदयू का दामन थाम लिया। ऐसे में राजद के अंदर अब दोहरी चुनौती भी है। एक तरफ अपनी पार्टी के बड़े नेताओं को बचाए रखना और भाजपा-जदयू के बड़े नेताओं को अपने पाले में लाना।
रालोसपा और वीआईपी को ज्यादा तवज्जो देने के मूड में नहीं है राजद
राजद के करीबी सूत्रों की मानें तो सीटों को बंटवारे पर अभी कोई बात नहीं चल रही है। इस पर अगले महीने बैठक हो सकती है। जीतनराम मांझी के जाने के बाद महागठबंधन में अब चार दल बचे हैं-राजद, कांग्रेस, रालोसपा और वीआईपी। सूत्रों के मुताबिक राजद रालोसपा और वीआईपी को ज्यादा तवज्जो देने के मूड में नहीं है। मुख्य तौर पर सीटों का बंटवारा राजद और कांग्रेस के बीच ही होगा। रालोसपा और वीआईपी लगातार यह कोशिश कर रही है कि महागठबंधन की बैठक हो, लेकिन राजद इस पर कोई ध्यान नहीं दे रहा। दोनों पार्टियां चाहती हैं कि जल्द सीट शेयरिंग हो जाए, लेकिन राजद के करीबी सूत्रों का कहना है कि सीटों पर अंतिम फैसला लालू ही लेंगे।
चिराग पर भी राजद की नजर
पिछले दिनों बिहार के सियासी घटनाक्रम को देखा जाए तो चिराग ने नीतीश के खिलाफ बयानबाजी कर एनडीए के अंदर भारी उथल-पुथल मचा दी है। ऐसे में राजद की नजर चिराग पर भी है। राजद चाहता है कि चिराग उनके पाले में आ जाएं। राजनीतिक जानकार बताते हैं कि चिराग की एनडीए छोड़कर जाने की संभावना कम ही है। वे ज्यादा सीटों के लिए प्रेशर पॉलिटिक्स कर रहे हैं। वहीं, दूसरी तरफ जदयू यह अच्छे से जानती है कि बिहार में अपना कद बड़ा करने का यह सही वक्त है। एनडीए में लोजपा के कद को कम करने के लिए नीतीश ने मांझी को लाने का फैसला किया है।