अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव:कैम्पेन के आखिरी दौर में मुकाबला सख्त; बाइडेन को ट्रम्प पर मामूली बढ़त
लेबर डे के बाद अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव का प्रचार ज्यादा तनावपूर्ण नजर आ रहा है। जो बाइडेन को कुछ या कहें मामूली बढ़त हासिल है। वे इसे बरकरार रखने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। दूसरी तरफ, डोनाल्ड ट्रम्प इसे कम करने में ताकत झोंक रहे हैं। अगस्त में दोनों पार्टियों के कन्वेशन्स के बाद कुछ प्राईवेट पोल्स हुए। इनके मुताबिक, ट्रम्प उन राज्यों में रिकवर कर रहे हैं, जहां कोरोना के दौर में उनका समर्थन या आधार कम हुआ था। ज्यादा आबादी वाले वे राज्य जहां कोरोना का असर काफी रहा, वहां ट्रम्प के खिलाफ नाराजगी को बाइडेन भुनाने की कोशिश कर रहे हैं।
ये आखिरी दौर के प्रचार की शुरुआत
लेबर डे या मजदूर दिवस के बाद चुनाव के आखिरी दौर के कैम्पेन की शुरुआत होती है। 1992 में जॉर्ज बुश के जमाने से यह चला आ रहा है। फ्लोरिडा जैसे राज्य में जीत जरूरी है। ट्रम्प यहां फोकस कर रहे थे। बाइडेन का नॉमिनेशन ही अप्रैल में हुआ। अब वे यहां बराबरी की कोशिश कर रहे हैं। 2016 में यहां डेमोक्रेट्स नर्वस थे और रिपब्लिकन्स को काफी उम्मीदें थीं। हालात ज्यादा नहीं बदले। ट्रम्प ने बाइडेन और उनकी पार्टी पर असामाजिक तत्वों के खिलाफ नर्म रुख अपनाने का आरोप लगाया। पिछले हफ्ते बाइडेन ने इसका जवाब देना शुरू किया। उन्हें पूर्व विदेश मंत्री जॉन कैरी का समर्थन भी मिला।
श्वेतों के बीच ट्रम्प लोकप्रिय
दोनों पार्टियां जानती हैं कि विस्कॉन्सिन और मिनेसोटा जैसे ज्यादा श्वेत आबादी वाले राज्यों में ट्रम्प का आधार मजबूत है। यहां श्वेत और अश्वेत के बीच वोटर्स को बांटने की कोशिश हो रही है। फ्लोरिडा, नॉर्थ कैरोलिना, एरिजोना और जॉर्जिया जैसे राज्यों में ट्रम्प डिफेंसिव मोड में नजर आते हैं। रिपब्लिकन पार्टी के दो पूर्व गर्वनर (टिम पॉलेंटी और स्कॉट वॉकर) मानते हैं कि कुछ राज्यों में भले ही अभी बढ़त बाइडेन के पक्ष में दिखती हो, लेकिन वहां हालात आसानी से ट्रम्प के फेवर में हो जाएंगे। कुछ शहरों में भले ही हिंसा हुई हो, लेकिन वहां भी वोटिंग पैटर्न बदल सकता है। विस्कॉन्सिन जैसे राज्य में लोग बाइडेन को लेकर बहुत खुश नहीं हैं।
खुद के लिए दिक्कतें खड़ी कर लेते हैं ट्रम्प
ट्रम्प खुद कई बार परेशानियां खड़ी कर लेते हैं। जैसे हाल ही में उन्होंने सैनिकों को लेकर बयान दिया। इससे कुछ लोग नाराज हो गए। डेमोक्रेट्स ने इसका फायदा उठाने की कोशिश की। ट्रम्प के सामने प्रचार में आर्थिक दिक्कतें भी दिख रही हैं। वो टीवी पर प्रचार के लिए खर्च कर रहे हैं। वहीं, अगस्त में बाइडेन ने 365 मिलियन डॉलर जुटाए। बाइडेन कानून व्यवस्था के मुद्दे पर ट्रम्प को घेरने की कोशिश कर रहे हैं।
लेकिन, वे यह भी जानते हैं कि जल्द ही इकोनॉमी और कोरोना वायरस पर फोकस करना होगा। मिशिगन और पेन्सिलवेनिया जैसे राज्यों में वोटर्स किस तरफ जाएंगे, पता नहीं। इसलिए बाइडेन अब यहां ज्यादा फोकस कर रहे हैं। दंगा प्रभावित केनोशा और पिट्सबर्ग जैसे शहरों में गए और अश्वेतों का समर्थन हासिल करने की कोशिश की।
जानकार क्या कहते हैं?
नॉर्थ कैरोलिना के गर्वनर रॉय कूपर के टॉप एडवाइजर मोर्गन जैक्सन कहते हैं- बाइडेन के पास लीड है, भले ही यह मामूली है। सीनेटर एमी क्लोबाउचर कहती हैं- फिलहाल ही सही, बाइडेन सही रास्ते पर हैं। पिट्सबर्ग में बाइडेन ने कहा था- पुलिस रिफॉर्म और कानून व्यवस्था दोनों जरूरी हैं। पूरा अमेरिका यही चाहता है। बाइडेन कई जगह खुद नहीं पहुंच पाए। डेमोक्रेट्स चाहते हैं कि वे यह कमी जल्द पूरी करें। 2016 में विस्कॉन्सिन जैसे राज्य में हिलेरी क्लिंटन को इसका खामियाजा भुगतना पड़ा था। यहां के डेमोक्रेट सांसद मार्क पोकन कहते हैं- मैं बाइडेन को बता चुका हूं कि वे जितने ज्यादा शहरों में जाएंगे, उतना फायदा होगा। ट्रम्प इस मामले में आगे हैं।
कोरोना से दिक्कत
डेमोक्रेट्स मानते हैं कि कोरोना की वजह से डोर टू डोर कैम्पेन आसान नहीं है। लेकिन, पेम्पलेट्स के जरिए वोटर्स को लुभाना आसान नहीं है। दौरे तो करने होंगे। ट्रम्प का खेमा टीवी के जरिए प्रचार पर ज्यादा खर्च कर रहा है। इस पर सवाल भी उठ रहे हैं। एक एक्सपर्ट ने कहा- 2004 की रणनीति 2020 में कारगर साबित नहीं हो सकती। पूर्व हाउस स्पीकर नेट गिनरिच कहते हैं- ट्रम्प को अमेरिकी राष्ट्रवाद का मुद्दा जोरशोर से उठाते रहना होगा।
ट्रम्प कैम्पेन ने सर्वे कराए
ट्रम्प कैम्पेन ने खुद भी सर्वे कराए हैं। वे इससे काफी खुश भी हैं। एक सूत्र के मुताबिक- इकोनॉमी के मुद्दे पर ट्रम्प अब भी बहुत मजबूत हैं। रिपब्लिक पार्टी की लेजिन हिके कहती हैं- लोग कोरोना से परेशान हैं और ये अब भी सबसे बड़ा मुद्दा है। स्कूल और कारोबार बंद हैं।
मिनेसोटा जैसे राज्यों में बाइडेन कानून व्यवस्था का मुद्दा उठा रहे हैं। यहां हमें रणनीति पर फिर विचार करना होगा। कुछ राज्यों में बाइडेन नहीं पहुंचे। वहां आक्रामक प्रचार करना होगा। वैसे ट्रम्प पर आरोप लग रहे हैं कि वे श्वेत और अश्वेत के मुद्दे पर समाज को बांटने की कोशिश कर रहे हैं। फ्लोरिडा और एरिजोना में उनके बयान कुछ इशारा करते हैं। इसका नुकसान भी हो सकता है।