जबलपुर की अदालत ने कहा- ‘नाबालिग के साथ अप्राकृतिक कृत्य गंभीर घटना, नहीं देंगे जमानत’
जबलपुर। अदालत ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि नाबालिग के साथ अप्राकृतिक कृत्य गंभीर घटना है। लिहाजा, आरोपित रणवीर सिंह और मोहन भूरा को जमानत का लाभ नहीं दिया जा सकता। इस तरह के दरिंदों का समाज में खुला घूमना खतरे से खाली नहीं। ऐसे मानसिक विकृत जितने अधिक समय तक जेल में रहें सभ्य समाज के लिए उतना ही बेहतर है। यदि आरोपितों को जमानत का लाभ दिया जाता हैं, तो आरोपित मामले के साक्ष्यों को प्रभावित कर सकते हैं, जिससे समाज में न्याय के प्रति विपरीत संदेश पहुंचेगा।
विशेष न्यायाधीश (पाक्सो) ज्योति मिश्रा की अदालत के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान अभियोजन की ओर से प्रभारी उप संचालक शेख वसीम के निर्देशन में अतिरिक्त जिला लोक अभियोजन अधिकारी अजय जैन ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि आरोपितों ने नाबालिग के साथ अप्राकृतिक कृत्य किया है, जो कि प्रकृति की व्यवस्था की विरुद्ध कृत्य है। फरियादी की उक्त रिपोर्ट पर पुलिस ने धारा 377, 323, 34 भादवि एवं 5 (एन)/6 पॉस्को का अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना में ले ली है। दोनों आरोपितों को गिरफ्तार कर विशेष न्यायालय में पेश किया गया। जमानत आवेदन का विरोध करते हुये दलील दी गई कि यदि आरोपित को जमानत का लाभ दिया जाता हैं, तो आरोपित साक्ष्य को प्रभावित कर सकते हैं, जिससे समाज में न्याय के प्रति विपरीत संदेश पहुंचेगा। अभियोजन द्वारा दिए गए तर्कों से सहमत होते हुए न्यायालय द्वारा आरोपितों का अग्रिम जमानत आवेदन निरस्त कर दिया गया। कोर्ट ने साफ किया कि इस तरह के कृत्य समान के दामन को दागदार करते हैं। इनकी रोकथाम के लिए सख्ती आवश्यक है। लिहाजा, जमानत नहीं दी जा सकती।