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राजस्थान सरकार के करीबी आईएएस अजिताभ शर्मा ने भी दिल्ली जाने का आवेदन किया, सवा दो साल में 6 सीनियर अफसर जा चुके

सीनियर आईएएस की कमी से जूझ रहे राजस्थान से एक और नौकरशाह केंद्र जाने वाले हैं। पिछले सवा दो साल में ही 6 सीनियर आईएएस अफसर दिल्ली का रुख कर चुके हैं। ताजा मामला सरकार के बेहद करीबी आईएएस अफसर अजिताभ शर्मा का है। 1996 बैच के आईएएस अजिताभ ने मंगलवार को अचानक दिल्ली जाने के लिए आवेदन कर दिया। बता दें कि प्रदेश में सीनियर ब्यूरोक्रेट की भारी कमी के बावजूद राज्य से इनका पलायन थम नहीं रहा।

प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद एक साल से अधिक समय तक अजिताभ ने सीएम अशोक गहलोत के सचिव के तौर पर सेवाएं दीं। उसके बाद करीब 8 महीने ऊर्जा महकमे में प्रमुख सचिव रहे। खान-पेट्रोलियम व आईटी जैसे अहम विभागों में प्रमुख सचिव रहते हुए अजिताभ शर्मा ने दिल्ली जाने के लिए आवेदन किया है। ऐसे में ब्यूरोक्रेसी में कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं।

बताया जा रहा है कि सीएमओ में रहते हुए उसी सरकार के कार्यकाल में दिल्ली जाने के लिए आवेदन करने वाले यह पहले आईएएस है। कार्मिक विभाग के सूत्राें ने उनके आवेदन करने की पुष्टि की है।

ये भी कतार में…शिखर, प्रवीण व सिद्धार्थ महाजन को भी दिल्ली जाने के लिए सरकार की मंजूरी का इंतजार

  • 1989 बैच के आईएएस एवं एसीएस रोहित सिंह ने भी अपनी पोस्टिंग से नाराज होकर दिल्ली जाने के लिए आवेदन किया था। पांच दिन पहले ही केंद्र के संस्कृति मंत्रालय में उन्हें पोस्टिंग मिल गई।
  • नरेश पाल गंगवार, आलोक कुमार, तन्मय कुमार, संजय मल्होत्रा, रजत मिश्र केंद्रीय प्रतिनियुक्त पर दिल्ली जा चुके हैं। ये सब सीनियर आईएएस हैं।
  • ये भी आवेदन कर चुके हैं; 1993 बैच के आईएएस शिखर अग्रवाल, 1995 बैच के प्रवीण गुप्ता व 2003 बैच के सिद्धार्थ महाजन सहित कई अफसरों ने केंद्रीय प्रतिनियुक्त पर दिल्ली जाने का आवेदन किया है।

असर ये कि… मौजूदा आईएएस अफसरों पर काम का बोझ बढ़ेगा, एक ही जगह 2-3 विभाग संभालने पड़ेंगे
1. रोहित कुमार सिंह के जाने के बाद मुख्य सचिव निरंजन आर्य के नीचे अब केवल एक अतिरिक्त मुख्य सचिव सुधांश पंत ही रह जाएंगे।
2. चर्चा है कि सुधांश पंत भी एक बार फिर से दिल्ली जाने की कोशिश में हैं, पर अभी उन्हें अनुमति नहीं मिल पा रही है। अगर ये भी चले गए तो प्रदेश में एक भी एसीएस नहीं रहेगा। इसी तरह से प्रमुख सचिव भी पर्याप्त नहीं हैं। ऐसे में तमाम बड़े विभागों को सचिव के जरिए चलाना पड़ रहा है।
3. इसका असर यह भी होगा कि मौजूदा आईएएस अफसरों पर काम का बोझ बढ़ जाएगा। एक की जगह दो से तीन विभाग तक संभालने पड़ेंगे।

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