पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने क्यों कहा कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी को अनुभवहीन
प्रदेश में त्रिवेंद्र सरकार के कार्यकाल में स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी की कथित टिप्पणी पर पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने तंज कसा है। इंटरनेट मीडिया पर वायरल एक बयान में पूर्व मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि कैबिनेट मंत्री जोशी अभी अनुभवहीन हैं। उन्हें अनुभव लेने की जरूरत है। वह उस विभाग के मंत्री भी नहीं है। मंत्रालय को समझने में सात-आठ माह का वक्त लगता है। ऐसे में उनकी टिप्पणी कोई मायने नहीं रखती। हालांकि, रावत ने यह भी कहा कि कैबिनेट मंत्री जोशी का बयान उन्होंने सुना नहीं है। सुनने के बाद ही कुछ कहेंगे।
पूर्व मुख्यमंत्री रावत ने यह भी कहा कि 2017 में जब भाजपा सरकार बनी, तब राज्य में सिर्फ 1034 डाक्टर थे, जिनकी संख्या आज 2600 है। नर्सों की भी भर्ती की गई। पूर्व में राज्य में 15-20 आइसीयू थे, जो अब एक हजार के लगभग हैं। उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर की किसी ने कल्पना नहीं की थी। बावजूद इसके पूर्व में राज्य में 27 हजार बेड की क्षमता विकसित की गई थी, जिसे लेकर आलोचना भी हुई थी। उन्होंने कहा कि यह महामारी है और इसे इसी नजरिये से देखने की जरूरत है।उन्होंने कहा कि कोविड कफ्र्यू के दौरान पिछले तीन दिनों में पुलिस प्रशासन ने जिस तरह सख्ती की है, उसके सकारात्मक परिणाम आने लगे हैं। उन्होंने कहा कि कोविड कफ्र्यू का सख्ती से अनुपालन कराने के साथ ही समय-समय पर इसकी समीक्षा की जरूरत है। कोविड कफ्र्यू को थोड़ा और लंबा खींचा जाना चाहिए। कोविड की तीसरी लहर को भी ध्यान में रखने की आवश्यकता है।
त्रिवेंद्र सरकार और अब तीरथ सरकार में अलग से स्वास्थ्य मंत्री न होने के संबंध में उन्होंने कहा कि आज यह बाध्यता है कि कितने मंत्री बनाए जाने हैं। उन्होंने कहा कि जब मुख्यमंत्री के पास विभाग होता है तो वह और अच्छे से चलता है। इसी के चलते हम अस्पतालों में व्यवस्था ठीक कर पाए। यह देखने की जरूरत है कि मुख्यमंत्री की प्राथमिकता क्या है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि स्वास्थ्य मंत्रालय मुख्यमंत्री के पास है या मंत्री के। पूर्व मुख्यमंत्री ने यह भी दोहराया कि उन्हें हटाए जाने के पीछे कुंभ के सूक्ष्म आयोजन की बात वजह नहीं थी। पार्टी नेतृत्व ने आदेश दिया, जिसे उन्होंने स्वीकार किया।