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घर पर रहिए , कोरोना का ये रूप है बेहद खतरनाक

कोरोना की वजह से जान गंवाने वाले राज्य के 50 प्रतिशत मरीज 48 घंटे भी वायरस का वार नहीं झेल पाए। अस्पताल पहुंचने के 48 घंटे के भीतर ही इन मरीजों ने दम तोड़ दिया। कोरोना मरीजों की मौत का डेथ ऑडिट कर रही कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में यह खुलासा किया है। सरकार कोरोना से हो रही मौतों का डेथ ऑडिट करा रही है। एचएनबी चिकित्सा विवि के कुलपति प्रो. हेमचंद्रा की अध्यक्षता में गठित कमेटी ने राज्य में हुई मौतों का अध्ययन करने के बाद पाया कि अस्पतालों में मरने वाले 50 फीसदी मरीज अस्पताल पहुंचने के 48 घंटे के भीतर ही दम तोड़ गए। कोरोना वायरस ने मरीजों को तेजी से अपनी गिरफ्त में लिया और फेफड़ों में घातक संक्रमण के बाद मरीज बच नहीं पाए। रिपोर्ट में इस बात पर चिंता जताई गई है कि मरीज बहुत गंभीर स्थिति में अस्पताल पहुंच रहे  हैं जिससे उन्हें डॉक्टर भी बचा नहीं पा रहे हैं।
सीधे हायर सेंटर पहुंचे मरीज: रिपोर्ट में कहा गया है कि एम्स, दून, हल्द्वानी, श्रीनगर और मिलिट्री हॉस्पिटल में गंभीर मरीज बिना जांच व इलाज के पहुंच रहे हैं। यानी इससे पहले राज्य के किसी भी अस्पताल में न उनकी जांच हुई और न इलाज किया गया। रिपोर्ट से स्वास्थ्य सेवाओं की पोल भी खुलती है। दरअसल किसी व्यक्ति के बीमार होने पर पहले प्राथमिक, सामुदायिक व जिला अस्पताल में जांच व इलाज होना चाहिए। लेकिन राज्य के अधिकांश ऐसे अस्पतालों में इलाज की सुविधा न के बराबर होने से लोग सीधे हायर सेंटर पहुंच रहे हैं। ऐसे में मरीजों को संभलने का मौका नहीं मिल रहा।
60 प्रतिशत मौतें दूसरी लहर में
राज्य में अभी तक कोरोना से हुई कुल 4014 मौतों में से 2300 के करीब मरीजों की मौत अप्रैल व मई के महीने में हुई हैं। यह आंकड़ा कुल मौतों का तकरीबन 60 प्रतिशत बैठता है। ऐसे में साफ है कि कोरोना की दूसरी लहर न केवल संक्रमण के मामले में घातक है बल्कि इसमें मरीजों के मौत का प्रतिशत भी बढ़ गया है। इसके साथ ही बड़ी संख्या में युवा भी मौत के शिकार हो रहे हैं।
इसीलिए शुरू किया प्रोफाइल ट्रीटमेंट
डेथ ऑडिट में लोगों को शुरुआती जांच व इलाज न मिलने की बात सामने आने के बाद सरकार ने राज्य के सभी परिवारों को कोरोना के बचाव के लिए प्रोफाइल ट्रीटमेंट देने का निर्णय लिया है। लोग शुरू में संक्रमण को नजर अंदाज कर रहे हैं इसलिए शुरू में ही दवा खिलाकर संक्रमण को रोकने को यह कदम उठाया गया है ताकि लोगों की मौतें कम से कम हों।

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