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पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन के कम लेवल से गंभीर कोविड-19 का ज्यादा खतरा- रिसर्च

महामारी की शुरुआत से डॉक्टरों ने पाया है कि कोविड-19 से संक्रमित पुरुषों को औसतन महिलाओं की तुलना में ज्यादा खतरा है. एक थ्योरी बताई गई कि पुरुषों और महिलाओं के बीच हार्मोन के अंतर से पुरुषों को गंभीर बीमारी का खतरा होता है. और चूंकि, पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन महिलाओं के मुकाबले बहुत अधिक पाया जाता है, इसलिए कुछ वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया कि गंभीर बीमारी के पीछे टेस्टोस्टेरोन का ज्यादा लेवल जिम्मेदार हो सकता है. लेकिन वाशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसीन की नई रिसर्च से पता चलता है कि पुरुषों का मामला इसके विपरीत हो सकता है.

कम टेस्टोस्टेरोन लेवल वाले पुरुषों को कोविड-19 की गंभीरता का ज्यादा खतरा

शोधकर्ताओं के मुताबिक, ब्लड में टेस्टोस्टेरोन के कम लेवल का संबंध गंभीर बीमारी से ज्यादा जुड़ता है. हालांकि, रिसर्च में ये साबित नहीं किया जा सका कि कम टेस्टोस्टेरोन गंभीर कोविड-19 की वजह है, कम लेवल कुछ अन्य आकस्मिक कारकों में से बस एक मार्कर के तौर पर हो सकता है. फिर भी, शोधकर्ताओं ने सावधानी बरतने का आग्रह किया है. उन्होंने अस्पताल आनेवाले कोविड-19 संक्रमित 90 पुरुषों और 62 महिलाओं के ब्लड सैंपल में कई हार्मोन्स समेत अन्य बिंदुओं को मापा.

शोधकर्ताओं ने मरीजों के फिर हार्मोन लेवल को 3, 7, 14, 28, दिनों पर और इलाजरत रहने के दौरान मापा. टेस्टोस्टेरोन के अलावा, उन्होंने एस्ट्राडियोल के लेवल का मूल्यांकन किया. उन्हें महिलाओं में बीमारी की गंभीरता और किसी हार्मोन लेवल के बीच संबंध नहीं मिला. पुरुषों में कोविड-19 की गंभीरता का संबंध सिर्फ टेस्टोस्टेरोन से जोड़ा गया. प्रति डेसिलीटर 250 नैनोग्राम ब्लड टेस्टोस्टेरोन लेवल व्यस्क पुरुषों में कम टेस्टोस्टेरोन लेवल समझा जाता है.

अस्पताल में दाखिल होने पर कोविड-19 के गंभीर पुरुष मरीजों का औसत टेस्टोस्टेरोन प्रति डेसीलीटर 53 नैनोग्राम था, इसके विपरीत, कम गंभीर बीमारी से पीड़ित पुरुषों का औसत टेस्टोस्टेरोन लेवल प्रति डेसिलीटर 151 नैनोग्राम मिला. तीन दिन पर बुरी तरह बीमार पुरुषों का औसत टेस्टोस्टेरोन लेवल सिर्फ 19 नैनोग्राम प्रति डेसीलीटर हो गया. शोधकर्ताओं ने बताया कि जितना कम टेस्टोस्टेरोन लेवल होगा, उतना ही ज्यादा गंभीर बीमारी होगी. मिसाल के तौर पर ब्लड में सबसे कम टेस्टोस्टेरोन लेवल वाले मरीजों को वेंटिलेटर पर जाने, इंटेसिव केयर यूनिट की जरूरत या मौत का अधिक खतरा था.

रिसर्च के दौरान 37 मरीज उनमें से 25 पुरुषों की मौत हो गई. मेडिसीन के प्रोफेसर और शोधकर्ता अभिनव दीवान ने कहा, “एक आम धारणा है कि टेस्टोस्टेरोन खराब होता है, लेकिन हमने पुरुषों में इसके विपरीत पाया. अगर किसी पुरुष का पहली बार अस्पताल आने पर टेस्टोस्टेरोन कम है, तो कोविड-19 की गंभीरता का उसे खतरा है. इसका मतलब हुआ कि उसे इंटेसिव केयर की आवश्यकता या मौत का खतरा है. और अगर टेस्टोस्टेरोन लेवल में इलाजरत रहने के दौरान गिरावट जारी रही, तो खतरा बढ़ जाता है.”

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