भोपाल। गांधी मेडिकल कॉलेज से संबद्ध हमीदिया और सुल्तानिया अस्पताल में जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल के बाद भी मंगलवार को 19 बड़े ऑपरेशन हुए हैं। हमीदिया में कोरोना के 85 मरीज भर्ती हैं। कोरोना वार्ड में बड़े डॉक्टरों की पूरे सयम ड्यूटी लगाई गई है। आसपास के जिलों से भी 78 डॉक्टर बुलाए गए हैं। इनमें 35 आयुष डॉक्टर हैं। कॉलेज प्रबंधन और सरकार किसी भी सूरत में जूडा से बात करने के पक्ष में नहीं हैं। लिहाजा, मरीजों को कोई दिक्कत नहीं आए इसलिए यह सब व्यवस्था की गई है।
अत्यावश्यक सेवा प्रबंधन अधिनियम (एस्मा) लागू होने के बाद भी जूडा की हड़ताल के चलते जीएमसी के डीन डॉ. जितेन शुक्ला ने सभी हड़ताली जूनियर डॉक्टरों को सोमवार को ही नोटिस जारी कर अनुशासनात्मक कार्रवाई की चेतावनी दी है। इसके बाद भी जूडा काम पर नहीं लौटे हैं। आज से इनके खिलाफ और सख्ती की जा सकती है। हड़ताली जूनियर डॉक्टरों के मप्र मेडिकल काउंसिल से पंजीयन निरस्त करने का पत्र भी जीएमसी से बुधवार या गुरुवार को जारी हो सकता है। तीन साल पहले आंदोलन के दौरान पंजीयन निरस्त करने की कार्रवाई की भी गई थी। इसके अलावा नेशनल मेडिकल कमीशन को भी कॉलेज की तरफ से पत्र भेजा जाएगा।
ये हैं मांगें
–मानदेय में 24 फीसद बढ़ोतरी कर प्रथम, द्वितीय और तृतीय वर्ष के लिए क्रमश: 55 हजार से बढ़ाकर 68200, 57 हजार से बढ़ाकर, 70680 ओर 59 हजार से बढ़ाकर 73160 किया जाए। मानदेय में हर साल छह फीसद इंक्रीमेंट लगाया जाए।
– कोविड ड्यूटी को अनिवार्य ग्रामीण सेवा माना जाए। अभी सिर्फ उन्हीं डॉक्टरों की कोरोना ड्यूटी को इसमें शामिल किया गया है जो कोर्स पूरा होने के बाद ड्यूटी कर रहे हैं।
–जूडा व उनके स्वजन के इलाज के लिए अस्पताल में विशेष व्यवस्था की जाए।
मंगलवार को हमीदिया अस्पताल की ओपीडी में देखे गए मरीज- 713
अस्पताल में भर्ती गैर कोरोना मरीज- 250
अस्पताल में भर्ती कोरोना मरीज- 85
म्यूकरवार्ड में भर्ती मरीज- 120
जूडा से हमे किसी तरह की बात नहीं करनी है। मरीजों के इलाज में कोई परेशानी नहीं हो रही है। बाहर से भी डॉक्टर बुलाए हैं। हड़ताल के पहले दिन जूडा से बात की थी, लेकिन उन्होंने नहीं सुनी। कोरोना वार्र्ड में कंसल्टेंट ड्यूटी कर रहे हैं।
– कवींद्र कियावत, संभगायुक्त, भोपाल
चिकित्सा शिक्षा मंत्री के आश्वासन पर पिछली बार जूडा ने आंदोलन खत्म किया था। मांगें पूरी नहीं हुई हैं। अब मंत्री आंदोलन को हठधर्मिता और ब्लैकमेलिंग कह रहे हैं। हमें ब्लैकमेल करना होता तो जब कोरोना के बहुत मरीज थे, तब आंदोलन करते।