अंतरराष्ट्रीय वरिष्ठ रामस्नेही संप्रदाय की प्रधान पीठ रामधाम रेण के 8 वें पीठाधीश्वर आचार्य डॉ. हरिनारायण शास्त्री महाराज का सोमवार रात्रि में 2:30 बजे निधन हो गया है। वे पिछले 3 साल से बीमार थे। महाराज के निधन की सूचना से सम्पूर्ण देश-विदेश सहित जिले भर के उनके भक्तों और अनुयायियों में शोक छा गया है। खबर सुनते ही मंगलवार सुबह लोग अंतरराष्ट्रीय वरिष्ठ रामस्नेही संप्रदाय की प्रधान पीठ रामधाम रेण की ओर रवाना होने लगे है। आसपास के गांवों के साथ ही दूरदराज से भी महाराज के शिष्य और अनुयायी उनके अंतिम दर्शनों के लिए आना शुरू हो गए है। रेण कस्बे के सभी बाज़ार और दुकानें भी शोक के चलते बंद कर दी गईं।

रामधाम में मिलता है गुरु शक्ति का उदाहरण- आज भी तैरती है पत्थर की ईंट
रामस्नेही संप्रदाय के संस्थापक आदि आचार्य की भक्ति और शक्ति का प्रभाव यहां आज भी देखा जा सकता है। उनकी तपस्याकृत पत्थर की ईंट आज भी धाम के तट पर ही स्थित लाखासागर सरोवर में कागज की माफिक तैरती है। गुरु शक्ति और श्रद्धालुओं की भक्ति का ये नजारा वर्ष में तीन बार धाम में देखने को मिलता है।

गुरु-शिष्य परंपरा के निर्वहन के लिए देशभर में है विख्यात
गुरु-शिष्य परंपरा के दर्शन करने के लिए अंतरराष्ट्रीय वरिष्ठ रामस्नेही संप्रदाय की प्रधान पीठ रामधाम रेण में देश ही नहीं विदेशों से श्रद्धालु पहुंचते हैं। यहां देशभर के 50 से अधिक पीठ और आश्रमों के संत और करीब 10 हजार श्रद्धालु उत्सव मनाते हैं। विक्रम संवत 1733 में रामस्नेही संप्रदाय के संस्थापक आदि आचार्य दरियाव महाराज का अवतार हुआ। उनके गुरु प्रेमदास महाराज के दिव्य ज्ञान स्वरूप ही दरियाव महाराज ने रामस्नेही संप्रदाय की स्थापना की