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जानिए इस साल कैसा रहेगा मानसून, कबतक पूरे देश को कवर करेगा और किसानों को फायदा होगा या नुकसान

नई दिल्ली: देश में मानसून ने दस्तक दे दी है. महाराष्ट्र में मुंबई समेत अब मानसून धीरे-धीरे मध्य भारत और उत्तर भारत में दस्तक देने लगा है. हालांकि दक्षिण-पश्चिम मानसून केरल में दो दिन की देरी से आया है, लेकिन इसने गति पकड़ ली है और देश के लगभग आधे हिस्से में तय समय से छह दिन पहले ही पहुंच गया है.  स्काईमेट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2020 में मॉनसून ने पूरे देश को 26 जून तक कवर कर लिया था. जबकि साल 2019 में यह तारीख 19 जुलाई और साल 2018 में 29 जून थी.

देश भर में सामान्य रहेगा मानसून

मौसम विज्ञान ने कहा है कि पूरे देश में इस साल जून से सितंबर तक दक्षिण-पश्चिम मानसून की मौसमी बारिश सामान्य रहने की संभावना है. देश भर में कुल मिलाकर इन चार महीनों की अवधि में पश्चिम मानसून मौसमी बारिश के सामान्य रहने (दीर्घ अवधि औसत (एलपीए) का 96 फीसदी से 104 फीसदी) की बहुत संभावना है.

अब तक कितनी बारिश हो चुकी है?

आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, भारत में इस साल 1 जून से 9 जून के बीच 21% ज्यादा बारिश दर्ज की गई है. जबकि मई में साल 1901 (107.9 मिमी) के बाद के बाद दूसरी बार सबसे ज्यादा बारिश हुई. मई में सबसे ज्यादा बारिश का रिकॉर्ड साल 1990 में बना था. तब 110.7 मिमी बारिश दर्ज की गई थी.

कब तक मानसून पूरे देश को कवर कर लेगा?

बता दें कि केरल में दो दिन देरी से तीन जून को मानसून ने दस्तक दी थी. वहीं, मुंबई में मानसून दो दिन पहले 8 जून को ही पहुंच गया. गुरुवार तक मानसून ने पूरे महाराष्ट्र, दक्षिणी मध्य प्रदेश और आधे ओडिशा को कवर कर लिया है. जबकि मानसून आमतौर पर 15 जून तक इन क्षेत्रों को कवर करता है. इसलिए मानसून 8 जुलाई तक पूरे देश को कवर कर सकता है.

अगले 48 घंटों में यूपी-बिहार के कुछ हिस्सों में पहुंचेगा मानसून

मौसम विभाग ने जानकारी दी है कि अगले 48 घंटों में मानसून पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार के कुछ हिस्सों में पहुंचेगा. अगले दो दिनों में मानसून उत्तराखंड के कुछ हिस्सों को भी कवर कर सकता है. इसलिए उम्मीद है कि यह उम्मीद से पहले दिल्ली पहुंच जाएगा. जबकि दिल्ली में मानसून जून के आखिर में दस्तक देता है.

मानसून के जल्दी आने से किसानों को फायदा या नुकसान?

मानसून का जल्दी आना किसानों के लिए अच्छी खबर है. भारत का लगभग 60 फीसदी खेती क्षेत्र बारिश पर निर्भर है  और मानसून की फसल, खरीफ, पूरी तरह से मानसून के आगमन और उसकी तीव्रता पर निर्भर करती है. इसलिए सामान्य तौर पर मानसून का जल्दी आना ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा संकेत है.

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