जयपुर में कल से कैसे बिकेंगी हॉलमॉर्क गोल्ड ज्वैलरी ?:ज्वैलर्स ने कहा- कोरोना काल में कारोबार ठप, एक दिन में पुराना स्टॉक कैसे बिकेगा, मोहलत दे सरकार, जयपुर में बाजार खुलेंगे

ज्वैलरी के लिए दुनिया भर में पहचान रखने वाले जयपुर के व्यापारियों के लिए कोरोनाकाल में नई चुनौती आ गई है। महामारी और लॉकडाउन के बीच 16 जून (बुधवार) से सिर्फ हॉलमार्क लगी गोल्ड ज्वैलरी ही अनिवार्य रूप से बेचने के आदेश ने कारोबारियों को अब और ज्यादा मुश्किल में डाल दिया है। इसमें सबसे बड़ा सवाल है कि लॉकडाउन की वजह से ज्वैलरी कारोबार ठप रहा। दुकानों व शोरूमों में काफी स्टॉक बचा हुआ है। माल बिका नहीं। ऐसे में बचे हुए स्टॉक को भारतीय मानक ब्यूरो के इन आदेशों के चलते कहां, कब और कैसे खपाएंगे? ये बड़ा सवाल पैदा हो गया है।
ज्वैलर्स का कहना है कि हॉलमार्क नियमों को लेकर भी अभी कई बातें साफ नहीं है। इससे कारोबारी संशय में है। ऐसे में पहले हॉल मार्किंग के नियम को अनिवार्य करने से पहले इन भ्रमों को दूर करना चाहिए। इसी मुद्दे पर भास्कर ने जयपुर के कुछ व्यापारियों से बातचीत की।
गोपालपुरा बाईपास के ज्वैलरी कारोबारी अनिल कुमार सेवानी ने बताया कि सभी व्यापारी होलमार्क ज्वैलरी बेचने के लिए राजी हैं, लेकिन केंद्र सरकार को लॉकडाउन में ज्वैलरी कारोबारियों को थोड़े वक्त की मोहलत देनी चाहिए। कल से लागू होने वाले नियमों की वजह से सबसे बड़ा सवाल है कि जो ज्वैलरी स्टॉक किसी कारोबारी के पास बचा है। उसका वह क्या करेगा। उस स्टॉक को गलाकर दोबारा होलमार्क लगी ज्वैलरी बनाने में होने वाले खर्च पर होने वाले नुकसान को व्यापारी सहन नहीं कर सकेगा। इसलिए ज्वैलरी कारोबारियों की मांग है कि थोड़े दिनों की मोहलत सरकार को देनी चाहिए।
गांव-कस्बों के ज्वैलरी कारोबारियों के लिए भी मुश्किल
सबसे बड़ी परेशानी यह आने वाली है कि अभी इतने हॉल मार्किंग सेंटर नहीं है। जयपुर शहर की बात करें तो यहां छोटे-छोटे कस्बों और गांवों से भी ज्वैलरी का काम आता है। अगर वो इस कोरोना के वक्त में अपना सामान बनाकर जयपुर में माल बेचने आते हैं। वे सामान की हॉल मार्किंग करवाने जाते हैं। इसके लिए जयपुर से गांव के बीच सफर करते हैं। तो इतना रिस्क नहीं उठा सकेंगे।
कुछ ज्वैलरी कारोबारी इस नियम के बाद डरे हुए हैं। उनका कहना है कि इस नियम से इंस्पेक्टर राज आ जाएगा। व्यापारियों का कहना है कि वे अभी भी ग्राहक को माल बताकर ही बेचते हैं। ऐसी शिकायतें ज्यादा नहीं आई हैं कि व्यापारी ने नकली गोल्ड बेच दिया। नोटबंदी के बाद यह आदेश गोल्डबंदी जैसा है।
कोरोना काल में लॉकडाउन से न स्टॉक बेचने का वक्त मिला, नाहीं लाइसेंस लेने का
जौहरी बाजार में ज्वैलर मोतीलाल के मुताबिक वे खुद लाइसेंसधारी है और हॉलमार्क ज्वैलरी ही बेचते है। लेकिन इस नियम से लॉकडाउन व कोरोना काल में आया यह आदेश व्यापारियों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। क्योंकि कोरोना महामारी व लॉकडाउन की वजह से व्यापारी इसके लिए तैयार नहीं थे। व्यापारियों के पास स्टॉक था, वो बिका नहीं। साथ ही लाइसेंस लेने का वक्त भी नहीं मिला। पिछले सवा साल से कोरोना महामारी ने कारोबार को वैसे ही ठप कर दिया है। इसलिए थोड़ा वक्त व्यापारियों को देना चाहिए। ताकि वे लाइसेंस ले सके और पुराने स्टॉक को निकाल सकें।
व्यापारी खुद लाइसेंस ले रहे है, कल सभी ज्वैलरी शॉप खुलेंगी
जयपुर सर्राफा कमेटी के अध्यक्ष और ज्वैलरी कारोबारी कैलाश मित्तल ने कहा कि कल सभी ज्वैलरी की दुकानें खुलेंगी। कारोबारियों के पास होलमार्का ज्वैलरी भी है। सरकार व्यापारियों के प्रति संवेदनशील है। ज्वैलर्स ऐसोसिएशन की जयपुर में मानक ब्यूरो के अधिकारियों से भी बातचीत हुई है। उनका कहना है कि व्यापारी जल्द से जल्द लाइसेंस लें। वे तत्काल ऑनलाइन आवेदन कर एक दिन में ही लाइसेंस प्राप्त कर सकते हैं। मित्तल के मुताबिक सरकार को भी ज्वैलरी कारोबारियों की समस्या सुनकर उनका समाधान करना चाहिए। ताकि कारोबारी व सरकार के बीच असमंजस की स्थिति खत्म हो।
हॉलमार्क का लाइसेंस नहीं लेने वाले को दुकानें बंद करनी पड़ेंगी
बीआईएस से हॉलमार्क का लाइसेंस नहीं लेने वाले को दुकानें बंद करनी पड़ेंगी। दूसरी तरफ बीआईएस के जयपुर कार्यालय के निदेशक एसएस मीणा का कहना बीआईएस के नियमों के तहत बिना लाइसेंस गाेल्ड ज्वैलरी बेचने या नाॅन हॉलमार्क ज्वैलरी बेचने वाले ज्वैलर्स के खिलाफ माल जब्ती, पांच लाख रुपए तक आर्थिक दंड और जेल तक का प्रावधान किया गया है।
राजस्थान में 25 हजार ज्वैलर्स, लाइसेंस सिर्फ 1450 के पास
जयपुर में 475 ज्वैलर्स ने लाइसेंस लिया है जबकि यहां 3,000 ज्वैलर्स हैं। प्रदेश में लगभग 25,000 ज्वैलर्स में से करीब 1,450 ज्वैलर्स के पास ही हॉलमार्क गाेल्ड ज्वैलरी बेचने का लाइसेंस है। बीआईएस के नियमों के मुताबिक बिना लाइसेंस गाेल्ड ज्वैलरी बेचना अपराध है। ऐसे में जिन ज्वैलर्स के पास लाइसेंस नहीं है उनको अपनी दुकानें बंद करनी पड़ सकती है। केंद्रीय उपभोक्ता मंत्रालय ने पिछले महीने एक उच्च स्तरीय समिति बनाई थी, ताकि हॉलमार्क काे लेकर नियमों काे तर्कसंगत बनाया जा सके। लेकिन सरकार ने अभी इस बारे कुछ भी नहीं किया और हॉलमार्क की अनिवार्यता काे लागू करने की तैयारी कर ली। इससे ज्वैलर्स काे परेशानियों का सामना करना पड़ेगा।