कोरोना का साइड इफैक्ट:यात्री नहीं मिलने से 35 बसें ही चल रही, इसमें लंबे रूट की नहीं
कोरोना का साइड इफैक्ट बस परिवहन कारोबार पर गहरा हुआ है। सामान्य दिनों में जिलेभर से करीब 500 बसें विभिन्न रूटों पर चलती थी। 7 से 8 बसें तो रोज लंबा रूट तय करते हुए अन्य प्रांतों तक भी जाती थी। महामारी के दौर में अनलॉक के 15 दिन बाद भी बस परिवहन की स्थिति नहीं सुधर पाई है। महज 35 बसें ही जिले के विभिन्न व केवल छोटे रूट पर चल रही हैं।
इनमें 5 उज्जैन से बड़नगर, 4 नागदा, 3 तराना, 5 महिदपुर, 5 शाजापुर, 7-8 इंदौर और 5 बसें उज्जैन से आगर रूट पर चल रही हैं। यह बसें भी तभी चलती हैं जब पर्याप्त यात्री हो जाते है। मप्र बस ऑनर्स एसोसिएशन के उज्जैन संभाग प्रभारी शिव कुमार शर्मा ने बताया कि एक जून से शुरू हुए अनलाॅक के बाद संचालकों ने प्रांरभिक तौर पर 50 से अधिक बसें चलाने की तैयारी की थी लेकिन यात्री नहीं मिलने से पुन: बसें खड़ी करना पड़ी।
अनलॉक का दूसरा चरण शुरू हो गया है लेकिन स्थिति सामान्य नहीं हो पा रही है। यात्रियों के अभाव में कम ही बसें चल पा रही है। जैसे-जैसे स्थिति सामान्य होगी और यात्री बढ़ने लगेंगे तो बसों की संख्या भी बढ़ती जाएगी। फिलहाल तो रोजाना बस संचालकों को खासा नुकसान झेलना पड़ रहा है। इसलिए ही तो शासन से टैक्स माफ करने, किराए में वृद्धि करने और अनुदान मुहैया करवाने सहित अन्य मांगें कर रखी है।