बिखरी-झगड़ों में घिरी-नेतृत्वविहीन BJP तोड़ पाएगी सियासी तिलिस्म!पार्टी-संघ बेबस!!

दो दशक की जिंदगी जी चुके उत्तराखंड का इतिहास गवाह है कि कोई भी पार्टी सत्ता में रहते विधानसभा का आम चुनाव फतह करने में नाकामयाब रही। मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के लिए एक साल के कार्यकाल में BJP के लिए आम चुनाव जीतना इस रेकॉर्ड को देखते हुए नामुमकिन न भी हो तो ये बिना ऑक्सीज़न सिलेन्डर-पाइप के Mount Everest पर चढ़ाई से कम नहीं। ये चुनौती तब और दुष्कर-बेहद कठिन दिखती है जब पार्टी और सरकार के लोग बेलगाम दिखने लगे। आलम ये है कि CM-Ex CM कुम्भ कोरोना फर्जी रिपोर्ट को ले के एक-दूसरे पर भीषण गोलाबारी कर रहे। मंत्री और उनके ही आयोग के अध्यक्ष बैरी हो गए हों। खंजर-बघनखा ले के आपस में एक-दूसरे को गोद डालने सरीखे हमलावर दिख रहे। मंत्री खुद पुलिस कप्तान पर बरस के एक किस्म से ऐसा संदेश दे के विपक्ष को ताकत दे रहे हों कि सरकार में माफिया-भ्रष्टाचारी-नाकारा लोग भरे पड़े हैं। कोढ़ पर खाज! न BJP और न ही RSS इस मामले में प्रभावी दिख रही। दोनों शांत भाव से अपने 57 किस्म के गुलों से पिछले आम चुनाव में महक उठे चमन को बेदर्दी के साथ उजड़ते देख रहे। ऐसा महसूस हो रहा।
तीरथ के लिए बीजेपी को आम चुनाव जितवाना और सत्ता बनाए रखना कोई हंसी-ठट्टा नहीं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का तिलिस्म पिछली बार तो लोगों के दिलों तक छाया था, लेकिन तबाह अर्थ व्यवस्था-कोरोना हमले के दौरान केंद्र की जबर्दस्त नाकामी-पश्चिम बंगाल में सम्पूर्ण ताकत झोंकने के बावजूद मिली लज्जाजनक शिकस्त -UP में उत्तराखंडी मूल के CM योगी आदित्यनाथ के साथ टकराव में बैकफुट पर माने जाने के बाद मोदी अब फतह की गारंटी उत्तराखंड में भी नहीं रह गए हैं। ऐसा सियासी विश्लेषक-अहम तबका मनाने लगा है। मोदी के नाम पर कुछ फायदा जरूर अभी भी पार्टी को मिलेगा, लेकिन बिना कुछ किए सिर्फ उनके नाम के सहारे शायद वैतरणी पार न लगेगी। ऐसे माहौल में तो कतई नहीं जब पार्टी-सरकारा में खुद ही अपनी पैरों पर कुल्हाड़ी मारने का अद्भुत दौर चल रहा हो।
BJP को चुनाव जीतना है तो आपसी एकजुटता का प्रदर्शन करना होगा। केंद्र-राज्य सरकार का बेहतरीन प्रदर्शन बेहद जरूरी हो जाता है। ऐसा कुछ होता दिख नहीं रहा। कुम्भ मेले के भव्य आयोजन को ले के पहले ही CM तीरथ सिंह रावत पर अंगुली उठाई जा रही थी। तमाम मौतें-लाखों कोरोना केसों ने इसको एक किस्म से सही भी ठहराया। बची-खुची कसर कोरोना रिपोर्ट फर्जीवाड़े के अत्यंत संगीन-सनसनीखेज आरोपों ने पूरी कर दी। इस दौर से निकलने के लिए सरकार-सत्ता को मिल के काम करने की दरकार थी। इसके बजाए त्रिवेन्द्र ने कोरोना टेस्ट लैब्स-Max को संदिग्ध टेंडर पर ये कह के आग में घी डाल दिया कि वह तो हट चुके थे, मौजूदा सरकार जाने। तीरथ ने भी बिना लाग-लपेट के जवाब दे दिया कि टेंडर देने का काम उनके CM बनने से पहले पूरा हो चुका था। मैंने तो बल्कि मामले की जांच बिठाई। उनका ईशारा सीधे पूर्व मुख्यमंत्री पर रहा।