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बेटे की जगह बेटी देने के मामले में डीएनए जांच का खर्च याचिकाकर्ता को देना होगा

ग्वालियर। हाईकोर्ट द्वारा शासन के आदेश को स्वीकार करने से अस्पताल द्वारा अब बेटे की जगह बेटी को दिए जाने के मामले में याचिकाकर्ता को डीएनए जांच के लिए आने वाला खर्च जमा करने के निर्देश दिए हैं। यदि रिपोर्ट याचिकाकर्ता के पक्ष में आती है तो जांच में खर्च पैसा वापस दिलाया जाएगा, यदि रिपोर्ट खिलाफ आएगी तो उन्हें दंड देना होगा।
एक महिला ने सात जुलाई 2020 को टेस्ट ट्यूब के माध्यम से बच्चे को जन्म दिया था। महिला ने मुरार के निजी अस्पताल पर आरोप लगाया था कि उसने लड़के को जन्म दिया थाए लेकिन उसे बेटी दे दी गई है। इसका सबूत उनके पास है। अस्पताल से जो पर्चे मिले हैं और बर्थ सर्टिफेकट में मेल लिखा हुआ है। वहीं अस्पताल की ओर से कहा गया है कि गलती से फीमेल की जगह मेल लिखा गया हैए टाइपिंग मिस्टेक है। याचिकाकर्ता ने लड़की को जन्म दिया था। याचिका सुनवाई योग्य नहीं है। कोर्ट ने बच्ची के डीएनए टेस्ट का आदेश दिया है। शासन की ओर दीपक खोत ने तर्क दिया था कि बच्ची का डीएनए टेस्ट करा लिया जाएए उसके बाद स्थिति स्पष्ट हो जाएगी। कोर्ट ने डीएनए टेस्ट के आदेश दिए थे। सीएमएचओ के पास डीएनए के लिए पहुंचेए उन्होंने कहा कि डीएनए रिपोर्ट गुजरात की लैब में होना है। वहां पर पैसे जमा कराने हैंए तो याचिकाकर्ता ने पैसे देने मना कर दिया। शासन की ओर से हाई कोर्ट में आवेदन पेश किया। शासन की ओर से अधिवक्ता दीपक खोत ने तर्क दिया कि डीएनए रिपोर्ट गुजरात की लैब में होना है। याचिकाकर्ता से पैसे जमा कराए जाएं। कोर्ट ने शासन के आवेदन को स्वीकार लिया। याचिकाकर्ता को पैसे जमा कराने के निर्देश दिए हैं।

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