उत्तराखंड में 12 हजार हेक्टेयर से हटेगी कुर्री, तैयार होंगे घास के मैदान
देहरादून। वर्षाकालीन पौधारोपण की मुहिम को अंजाम तक पहुंचाने में जुटा वन विभाग इस बार जंगलों में पसरी कुर्री (लैंटाना कमारा) की झाड़ियों को हटाने के प्रति भी संवेदनशील हुआ है। इस मर्तबा करीब 12 हजार हेक्टेयर वन क्षेत्र में पसरी कुर्री को हटाकर इसकी जगह घास के मैदान तैयार करने के साथ ही वहां बांस समेत अन्य वृक्ष प्रजातियों का रोपण किया जाएगा। कुर्री उन्मूलन अभियान में जनता की भागीदारी भी सुनिश्चित की जाएगी।
पर्यावरण के लिए खतरनाक मानी जाने वाली कुर्री अपने आसपास दूसरी वनस्पतियों को नहीं पनपने देती। साथ ही वर्षभर खिलने के कारण इसका निरंतर प्रसार हो रहा है। ऐसे में जंगलों में फूड चेन भी गड़बड़ा रही है। वन क्षेत्रों में घास के तमाम मैदान कुर्री की गिरफ्त में आए हैं, जिससे शाकाहारी वन्यजीवों के लिए दिक्कतें खड़ी हो रही हैं। उत्तराखंड का सूरतेहाल भी इससे जुदा नहीं है। पहाड़, मैदान और घाटी वाले सभी स्थानों में कुर्री की दस्तक ने चिंता बढ़ाई हुई है।
हालांकि, कुर्री उन्मूलन को वर्षों से अभियान चल रहे हैं। संरक्षित व आरक्षित क्षेत्रों की कार्ययोजना में यह शामिल है, लेकिन इसमें निरंतरता का अभाव है। अब वन विभाग ने कुर्री उन्मूलन अभियान को बेहद गंभीरता से चलाने की ठानी है। मिशन मोड में चलने वाले इस अभियान में प्रतिकरात्मक वन रोपण निधि प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण (कैंपा) से 37 करोड़ की राशि उपलब्ध हुई है।
वन विभाग के मुखिया प्रमुख मुख्य वन संरक्षक राजीव भरतरी के मुताबिक कुर्री उन्मूलन को तेजी से कदम उठाने के बारे में सभी वन संरक्षकों, प्रभागीय वनाधिकारियों को दिशा-निर्देश जारी कर दिए गए हैं। कुर्री को हटाकर खाली होने वाली जगह में घास के मैदान विकसित करने को तवज्जो दी जाएगी। कुछ स्थानों पर बांस अथवा स्थानीय वृक्ष प्रजातियों के पौधों का रोपण किया जाएगा। घास के मैदान विकसित करने को घास प्रजातियों की कमी न हो, इसके लिए 40 नर्सरियां स्थापित की जा रही हैं। उन्होंने कहा कि कुर्री उन्मूलन की पहल से वन क्षेत्रों में वन्यजीवों के लिए वासस्थल सुधार में भी मदद मिलेगी