उत्तराखंड कांग्रेस : प्रदेश अध्यक्ष बदला तो बदलेगी पूरी रणनीति

देहरादून। कांग्रेस ने प्रदेश में अध्यक्ष बदला तो विधानसभा चुनाव को लेकर पार्टी की पूरी रणनीति में बदलाव तय है। पार्टी के नए अध्यक्ष के सामने नए रोडमैप के साथ उससे कार्यकर्त्ताओं को जोड़ने की चुनौती होगी। प्रदेश में भाजपा की प्रचंड बहुमत की सरकार के सामने बीते चार वर्षों में सियासी मोर्चे पर परेशानी खड़ी करने में कांग्रेस को कामयाबी भले ही न मिली हो, लेकिन जनाक्रोश को भुनाने के लिए प्रमुख प्रतिपक्षी दल ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले रखने में कसर नहीं छोड़ी। पिछले चार वर्षों में आंदोलन कार्यक्रमों में प्रदेश संगठन के साथ उसके आनुषंगिक संगठन युवक कांग्रेस, एनएसयूआइ, महिला कांग्रेस और कांग्रेस सेवादल की भागीदारी अच्छी-खासी रही है।
मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने मई, 2017 में संगठन की कमान संभाली थी। संगठन के मुखिया के नाते पिछले सांगठनिक ढांचे के साथ उनका जुड़ाव तकरीबन तीन साल तक रहा। फिर काफी मशक्कत के बाद टीम प्रीतम आकार ले सकी। हालांकि नई टीम में भी पार्टी के सभी गुटों के प्रभावी नेताओं को जगह मिली है। पेट्रोल, डीजल व रसोई गैस की बढ़ती कीमतों, महंगाई, कोरोना संकट के दौरान सरकार की खामियों को निशाने पर लेने का मौका संगठन ने हाथ से जाने नहीं दिया है। यह बात दीगर है कि जनता के बीच दोबारा पैठ बनाने के लिए पार्टी को खासी मशक्कत करनी पड़ रही है।
2022 के चुनावी साल में दमखम दिखाने के लिए पार्टी अब सड़कों पर खुद को ज्यादा से ज्यादा झोंक रही है। विधानसभा चुनाव में महज सात महीने शेष हैं। ऐसे में प्रदेश संगठन में नेतृत्व परिवर्तन होता है तो पार्टी को नए रोडमैप के साथ सामने आना होगा। नए अध्यक्ष के सामने सभी गुटों को साधने खासतौर पर टीम प्रीतम को साथ लेकर चलने की बड़ी चुनौती होगी। चुनावी साल में पार्टी ये जोखिम उठाती है या नहीं, आम जनता के साथ पार्टी कार्यकर्त्ताओं की नजरें हाईकमान के फैसले पर टिकी हैं।