Fri. Nov 22nd, 2024

भड़ली नवमी अबूझ मुहूर्त 18 जुलाई को, फिर 20 नवंबर तक नहीं बजेगी शहनाई

ग्वालियर । आषाढ़ माह के शुक्लपक्ष की नवमी तिथि 18 जुलाई को भड़ली नवमी है, जिसे अबूझ मुहूर्त मान कर इस तिथि में शादियां की जाती हैं। इसके बाद अगला अबूझ मुहूर्त देवउठनी एकादशी को होगा,जो कि 14 नवंबर को है। चार महीने बाद इसी दिन से शादियों की शुरुआत हो जाएगी। ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने बताया कि 20 जुलाई को देवशयनी एकादशी से चातुर्मास शुरू हो जाएगा, जो कि 14 नवंबर तक रहेगा। तकरीबन इन 4 महीनों के दौरान शुभ कार्यो के लिए मुहूर्त नहीं रहेंगे। इसके बाद 15 दिसंबर से 15 जनवरी के बीच में सूर्य धनु राशि में आ जाएगा। जिसे धनुर्मास कहते हैं। इस एक महीने के दौरान भी शुभ काम नहीं किए जाते हैं। इससे पहले कोरोना महामारी के चलते कई लोगों की शादियां रुक गई थी। इस महामारी के कारण विवाह और सभी शुभ कामों के लिए अबूझ मुहूर्त अक्षय तृतीया पर भी शुभ कार्य नहीं किए जा सके, इसलिए अब कई लोगों को अगले बड़े मुहूर्त यानी भड़ली नवमी का इंतजार है। भड़ली नवमी गुप्त नवरात्रि के अंतिम दिन मनाई जाती है।

भड़ली नवमी की पूजा विधिः शास्त्रों के अनुसार इस दिन लक्ष्मी-नारायण की पूजा और कथा की जाती है। भड़ली नवमी पर साधक को स्नान करके धुले कपड़े पहनकर मौन रहकर पूजा-अर्चना करनी चाहिए। अर्चना के दौरान भगवान को फूल, धूप, दीप और नैवेद्य चढ़ाना चाहिए। पूजा में बिल्व पत्र, हल्दी, कुमकुम या केसर से रंगे हुए चावल, पिस्ता, बादाम, काजू, लौंग, इलायची, गुलाब या मोंगरे का फूल, किशमिश, सिक्का आदि का प्रयोग करना चाहिए। अर्चना के बाद पूजा में प्रयोग हुई सामग्री को किसी ब्राह्मण या मंदिर में दान कर देना चाहिए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *