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बिजली कर्मचारियों की मोबाइल बंद हड़ताल, आज बिजली गई तो जल्द सुधरना मुश्किल

भोपाल । आज यानी 10 अगस्त को शाम तक सतर्क रहिए, क्योंकि आपके घर या मोहल्ले की बिजली गुल हुई तो शायद ही जल्द ठीक हो पाएगी। ऐसा इसलिए, क्योंकि प्रदेश भर की बिजली कंपनियों के इंजीनियर व हजारों कर्मचारी हड़ताल पर है। हड़ताल किसी एक जगह पर जुटकर नहीं की जा रही है, बल्कि सभी अपने-अपने घरों में मोबाइल बंद करके बैठे हैं। पहली बार इस तरह की हड़ताल हो रही है, जो शाम तक चलेगी। इस हड़ताल से बिजली आपूर्ति व्यवस्था लड़खड़ा सकती है। हालांकि प्रदेश के ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह का दावा है कि हड़ताल से विद्युत आपूर्ति प्रभावित नहीं होने देंगे। चिंता करने की बात नहीं है। अब यदि इंजीनियरों व कर्मचारियों द्वारा दी गई चेतावनी के अनुरूप हड़ताल चली तो शाम तक बिजली आपूर्ति गड़बड़ा सकती है। यूनाइटेड फोरम फॉर पावर एम्प्लाइज एवं इंजीनियर संघ के संयोजक वीकेएस परिहार का दावा है कि 90 फीसद बिजली कंपनी के इंजीनियर कार्यालय नहीं पहुंचे।

बता दें कि बिजली कंपनियों ने इंजीनियर, अधिकारी व कर्मचारियों को निर्देश दिए हैं कि चौबीस घंटे मोबाइल चालू रहना चाहिए। ऐसा इसलिए, क्योंकि ज्यादातर उपभोक्ता अपने-अपने क्षेत्र के प्रभारी अधिकारी, इंजीनियरों को बिल व आपूर्ति से जुड़ी शिकायतें फोन पर करते हैं, जिससे निराकरण भी जल्द होता है। कंपनी ने इसे देखते हुए सभी के नंबर सार्वजनिक किए हैं। पूर्व में मोबाइल बंद रखने वाले कुछ इंजीनियरों पर कार्रवाई भी हुई है। लेकिन आज चेतावनी के अनुरूप इंजीनियरों ने मोबाइल बंद कर लिया है। उल्लेखनीय है कि सात अगस्त को प्रदेश भर की बिजली कंपनियों में काम करने वाले कर्मचारी कार्य बहिष्कार कर चुके हैं। बिजली कर्मचारियों के 17 संगठनों के संयुक्त मोर्चा का प्रतिनिधित्व करने वाले बीडी गौतम का कहना है कि कर्मचारियों को परेशान किया जा रहा है। इसके कारण विरोध दर्ज कराया गया था।

फोरम ने यह बताई हड़ताल की वजह
– आरोप है कि केंद्र सरकार बिजली कंपनियों को निजी हाथों में देने संबंधी बिल लाने जा रही है। इसकी तैयारी पूरी हो चुकी है। यह बिल पास होता है तो बिजली कंपनी निजी हाथों में चली जाएंगी। इसमें काम करने वाले हजारों अधिकारी, इंजीनियर व कर्मचारी भी निजी हाथों में चले जाएंगे, जहां शोषण होगा। उपभोक्ताओं की भी सुनवाई नहीं होगी। उपभोक्ताओं को सरकार जो छूट देती है, वह नहीं मिलेगी।
– प्रदेश भर में इंजीनियरों के 700 से अधिक पद खाली हैं, जिन्हें नहीं भरा जा रहा है।
– संविदा पर रखे इंजीनियरों को नियमित नहीं किया जा रहा है।
– बिजली कंपनियों में अधिकारी, कर्मचारियों की जरूरत के लिए मापदंड तय नहीं किए जा रहे हैं।
– आउटसोर्स पर युवाओं को रखकर शोषण किया जा रहा है।
– कर्मचारियों की कमी और आउटसोर्स कर्मचारियों के अप्रशिक्षित होने से उपभोक्ताओं को समय पर ठीक सेवा नहीं मिल रही है। आम उपभोक्ता बिजली कर्मचारियों को जिम्मेदार मान रहे हैं।

 

 

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