माकन ने दो हफ्ते पहले फीडबैक लिया था, ठंडी पड़ी मंत्रिमंडल के विस्तार व जिलाध्यक्षों की घोषणा, कार्यकर्ता भी सरकारी कमेटियों में मनोनीत नहीं हुए
कांग्रेस के प्रभारी महासचिव अजय माकन के दो हफ्ते पहले सत्ताधारी विधायकों से फीडबैक लेने के बाद मंत्रिमंडल का विस्तार और कांग्रेस के नए जिलाध्यक्षों की घोषणा की अटकलेें एक बार ठंडी पड़ गई हैं। जिले के सत्ताधारी विधायकों से अजय माकन ने 29 जुलाई को जयपुर में फीडबैक लिया था। इसमें मंत्रिमंडल के विस्तार के साथ साथ पार्टी हित में जिलाध्यक्षों की घोषणा जल्द करने और राजनीतिक नियुक्तियां देकर कांग्रेस पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को एडजस्ट करने की मांग उठी थी।
तब माकन सहित अन्य वरिष्ठ नेताओं ने आश्वासन दिया था कि फीडबैक रिपोर्ट जल्द ही आलाकमान को भेज दी जाएगी। सुझावों पर अमल किया जाएगा। पौन तीन साल पूर्व दिसंबर 2018 में राज्य में कांग्रेस की सरकार बनी। सरकार के शपथ ग्रहण समारोह के दौरान बनी कैबिनेट में जिले को स्थान नहीं मिला।
उस समय उम्मीद थी कि जल्द ही होने वाले मंत्रिमंडल विस्तार में जिले को भागीदारी मिलने की संभावना जताई जा रही थी। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कांग्रेस के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच राजनीतिक खींचतान होने से मंत्रिमंडल का विस्तार अधर में रह गया।
इसके बाद दोबारा खींचतान की सुगबुगाहट के बाद फिर मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं हो सका। जुलाई 2020 में गहलोत व पायलट के बीच खींचतान के दौरान सचिन पायलट को कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष व उप मुख्यमंत्री पद से बर्खास्त किया गया। इस पर रोष जाहिर करते हुए 14 जुलाई 2020 जिला कांग्रेस कमेटी के जिलाध्यक्ष संतोष सहारण, महासचिव श्यामलाल शेखावटी, कृष्ण भांभू सहित अन्य पदाधिकारियों ने त्याग पत्र दे दिया था। इसके बाद 13 महीनों से अध्यक्ष पद खाली पड़ा है। फीडबैक के दौरान संगठन की परफॉर्मेंस पर चर्चा के दौरान विधायक ने माकन से कहा कि था कि एक वर्ष से ज्यादा समय बीत चुका है।
जिले में संगठन नहीं है। राजनीतिक खींचतान के दौरान जिलाध्यक्ष पद खाली हुआ था। जिला संगठन बनाकर सरकार की योजनाओं को आम लोगों तक प्रचारित किया जा सकता है। हालांकि जिलाध्यक्ष की घोषणा के लिए कवायद पिछले आठ महीनों से चल रही है।
जनवरी में जिले के प्रभारी और पीसीसी के सचिव जिया उर रहमान आरिफ ने फीडबैक लिया था। इसके बाद पीसीसी के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा को पैनल साैंप दिया था। इससे पहले फरवरी में जिलाध्यक्षों की घोषणा की चर्चा थी। लेकिन प्रदेश में राहुल गांधी की किसान पंचायतें होने से जिलाध्यक्षों की घोषणा टल गई। फिर कोविड की वजह से चार महीने तक कांग्रेस की गतिविधियां नहीं हुईं। अब दोबारा फिर गहलोत व सचिन गुट के बीच अंदरूनी तौर पर सुगबुगाहट होने से सुलह का प्लेटफार्म तैयार किया जा रहा है।
राजनीतिक नियुक्तियों की भी मांग, जिले में कई पदों पर होनी है नियुक्ति
राजनीतिक नियुक्तियों की भी मांग होने लगी है। जिले में यूआईटी के अध्यक्ष, राज्य मंत्री के दर्जे के राजस्थान पंजाबी भाषा एकेडमी के अध्यक्ष सहित कई कमेटियों में अभी तक नियुक्तियां होनी बाकी है। इन नियुक्तियों के लिए सचिन पायलट के प्रदेशाध्यक्ष कार्यकाल में दो बार सूचियां भी बना ली गई थी।
तब एक बार लोकसभा चुनाव और फिन नगर निकाय चुनावों की वजह से राजनीतिक नियुक्तियां नहीं हुईं। पायलट के प्रदेशाध्यक्ष पद से हटने के बाद इन सूचियों पर विचार-विमर्श नहीं किया गया। हालांकि कांग्रेस के जिला स्तरीय पूर्व पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं की ओर से राजनीतिक नियुक्तियां जल्द करने की मांग हो रही है।