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पंजाब कांग्रेस की कलह की वजह से राजस्थान की सत्ता-संगठन में होने वाले बदलावों में देरी के आसार

पड़ोसी राज्य पंजाब में कांग्रेस की कलह और खींचतान का असर अब राजस्थान के सियासी समीकरण पर होता दिख रहा है। पंजाब की कलह ने अब एक बार फिर राजस्थान में सरकार और संगठन में होने वाले बदलावों को कुछ समय के लिए अटका दिया है। अब पंजाब विवाद सुलझने के बाद ही कांग्रेस लीडरशिप राजस्थान में मंत्रिमंडल फेरबदल और संगठन की नियुक्तियों पर फैसला होने के आसार हैं।

राजस्थान में पहले अक्टूबर के दूसरे सप्ताह में मंत्रिमंडल फेरबदल की संभावना थी, लेकिन अब यह तारीख आगे बढ़ेगी। पंजाब के बाद कांग्रेस हाईकमान राजस्थान में सत्ता-संगठन में बदलाव को हरी झंडी देने वाला था। अब दो दिन में ही सियासी हालात बदल गए हैं। पंजाब के साथ छत्तीसगढ़ में भी फिर विवाद शुरू हो गया है। कांग्रेस हाईकमान मौजूदा हालात में अब तत्काल कोई बदलाव करने की जगह पहले इन दोनों राज्यों में ​विवाद सुलझने का इंतजार करेगा।

कांग्रेस ने राजस्थान में बदलावों के लिए तीन फॉर्मूले तैयार किए हैं। पहला फॉर्मूला सभी मंत्रियों से इस्तीफे लेकर नए सिरे से मंत्रिमंडल बनाने का है। दूसरा फॉर्मूला नॉन परफॉर्मर मंत्रियों को हटाकर मंत्रिमंडल फेरबदल करने और तीसरा केवल खाली पड़ी जगहों को भरने का है। अब बदले हालात में पंजाब की तरह बोल्ड डिसीजन की उम्मीद खत्म हो गई है।

पंजाब के घटनाक्रम का गहलोत को फायदा मिला
पंजाब में कैप्टन अ​मरिंदर को हटाने के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की हालत कमजोर मानी जा रही थी। अब नवजोत सिंह सिद्धू के इस्तीफे के बाद गहलोत बिना कुछ किए अपने आप ही मजबूत स्थिति में आ गए हैं।

पंजाब के हालात को देखते हुए अब अशोक गहलोत पर दबाव डालकर बदलाव करवाने के विकल्प से बचने की रणनीति पर ही चला जा सकता है। कांग्रेस के पास तीन ही राज्य बचे हैं। ऐसे में पार्टी नेतृत्व पंजाब का घटनाक्रम दोहराने का रिस्क नहीं ले सकता। हालांकि राजस्थान और पंजाब के हालात में काफी अंतर है।

सचिन पायलट कैंप और बसपा से कांग्रेस में आए विधायकों को निराशा
पंजाब के ताजा घटनाक्रम का राजस्थान में सियासी तौर पर सचिन पायलट कैंप पर असर पड़ा है। पायलट कैंप जल्द मंत्रिमंडल फेरबदल के साथ संगठन और सरकार में नियुक्तियों की मांग कर रहा था। साल भर से पायलट कैंप अपने मुद्दों के समाधान की मांग उठा रहा है। अक्टूबर में बदलाव की संभावना थी, लेकिन पंजाब के घटनाक्रम ने एक बार के लिए हाईकमान की प्राथमिकताओं को बदल दिया है।

पायलट कैंप के विधायकों के अलावा बसपा से कांग्रेस में आए छह विधायक भी मंत्री नहीं बनाए जाने से निराश हैं। छह में से चार बसपा विधायकों ने तो खुलकर असंतोष और नाराजगी जताई है। बसपा के चार विधायक दिल्ली पहुंच चुके हैं, वे यहां वरिष्ठ नेताओं से मिलकर दबाव बनाने की कोशिश करेंगे।

पायलट विरोधी खेमा बदलावों में देरी का पक्षधर
कांग्रेस में सचिन पायलट विरोधी खेमा चाहता है कि सरकार और संगठन के बदलावों में देरी हो। विरोधी खेमे की रणनीति पायलट कैंप के नेताओं को पद देने से रोकने की है। अब राजनीतिक हालात को देखते हुए कुछ देरी की संभावना है। कांग्रेस के जानकारों का मानना है कि ज्यादा देरी से किए गए मंत्रिमंडल फेरबदल का फायदा कम, सियासी नुकसान ज्यादा होता है।

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