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राहत भरी खबर:कोयला सप्लाई सुधरी, डिमांड 4000 मेगावाट कम, बिजली कटौती बंद

जयपुर प्रदेश में कोयले की कमी दूर होने के साथ ही बंद पड़े बिजलीघरों में बिजली उत्पादन होने लगा है। तापमान कम होने से बिजली की डिमांड में 4 हजार मेगावाट तक कमी हुई है। अब अधिकतम डिमांड 10,400 मेगावाट ही रह गई है, जबकि औसत डिमांड 9250 मेगावाट ही रह गई है। अब रोजाना 22 करोड़ यूनिट बिजली सप्लाई की जा रही है। बिजली संकट दूर होने से कटौती से राहत मिली है।

बिजलीघरों में रोजाना 17 रैक कोयला आ रहा है। कोल इंडिया से 6 रैक कोयला मिलने के कारण सूरतगढ़ पावर प्लांट की सभी यूनिट से बिजली उत्पादन शुरू नहीं हो पाया है। इसके अलावा कोटा थर्मल पावर प्लांट, कालीसिंध थर्मल पावर प्लांट व छबड़ा थर्मल पावर प्लांट में कोयला किल्लत के कारण कोई यूनिट बंद नहीं है।

देशभर के पावर प्लांट में कोयले का स्टॉक बढ़ा, पावर ट्रेडिंग ओपन मार्केट में गिरी रेट

देशभर के पावर प्लांट में कोयले का स्टॉक बढ़ा है। केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण के आंकड़ों के अनुसार चार दिन से कम स्टॉक वाले प्लांट की संख्या घटकर 58 रह गई। सप्ताह पहले 69 प्लांट में चार दिन से कम कोयला था। उपलब्धता बढ़ने के साथ पावर ट्रेडिंग के ओपन मार्केट में भी बिजली की रेट गिरी है। शाम के समय पीक आवर्स में रेट 10 रुपए प्रति यूनिट से भी कम आ गई है। पहले पीक आवर्स में 20 रुपए प्रति यूनिट पर भी बिजली नहीं मिल रही थी।

राजस्थान में रोजाना 17 रैक कोयला आ रहा

प्रदेश में रोजाना 17 रैक कोयला आ रहा है। कोयले की औसतन कीमत 2 हजार रुपए प्रति टन है। एक रैक में 4 हजार टन कोयला आता है। ऐसे में एक रैक में करीब 80 लाख का कोयला आता है। रेलवे का परिवहन खर्चा मिलाकर यह खर्चा डेढ़ करोड़ तक पहुंच जाता है। कोयला कीमत व परिवहन पर रोजाना 25 करोड़ रुपए खर्च हो रहा है।

कोयला पर्याप्त, कटौती बंद : ऊर्जा विभाग

ऊर्जा विभाग के एसीएस सुबोध अग्रवाल ने बताया कि प्रदेश में कमी के कारण कहीं भी बिजली कटौती नहीं की गई। कोल इंडिया की अनुषंगी इकाई एनसीएल से 3 रैक डिस्पैच हुई हैं। वहीं एसईसीएल से कोयले की 3 रैक रेल मार्ग से व एक रैक रेल कम रोड मार्ग से डिस्पैच हुई है। राज्य सरकार के कोल ब्लॉक से कोयले की 11 रैक डिस्पैच हुई हैं।

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