राजस्थान पर अब दिल्ली में मंथन:गहलोत दिल्ली दौरे पर,मंत्रिमंडल विस्तार-राजनीतिक नियुक्तियों पर हाईकमान से हरी झंडी मिलने की संभावना
जयपुर राजस्थान में लंबे समय से अटके मंत्रिमंडल विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियों को लेकर एक बार फिर दिल्ली में सक्रियता बढ़ गई है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत दिल्ली दौरे पर हैं। गहलोत मंगलवार रात को ही जोधपुर से दिल्ली पहुंचे हैं। गहलोत दिल्ली में राहुल गांधी और सोनिया गांधी से मुलाकात करके मंत्रिमंडल विस्तार और सियासी मुद्दों पर चर्चा कर सकते हैं। गहलोत के दिल्ली दौरे के बाद इस बार मंत्रिमंडल विस्तार और फेरबदल पर फैसला होने की संभावना है।
हाईकमान से मंजूरी मिलने के बाद कभी भी मंत्रिमंडल विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियां की जा सकती हैं। कांग्रेस सूत्रों के अनुसार पहले मंत्रिमंडल विस्तार होगा। इसके बाद राजनीतिक नियुक्तियां की जाएंगी। मंत्री बनने से वंचित रहने वाले विधायकों को राजनीतिक नियुक्तियां देकर संतुष्ट करने का फार्मूला अपनाया जाएगा।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत 16 अक्टूबर को दिल्ली दौरे पर गए थे। उस दौरे में सोनिया गांधी से मुलाकात नहीं हुई थी। तब राहुल गांधी के आवास पर हुई बैठक में प्रियंका गांधी, केसी वेणुगोपाल और अजय माकन के साथ गहलोत ने चर्चा की थी। बताया जाता है कि अब सीएम अशोक गहलोत ने सोनिया गांधी से मुलाकात का समय मांगा है। सोनिया गांधी से मुलाकात होते ही मंत्रिमंडल विस्तार सहित सत्ता संगठन से जुड़े लंबित मुद्दों पर फैसले लेने का काम शुरू होगा।
गहलोत सरकार में अभी 9 जगह खाली है। प्रदेश में कुल 30 मंत्री बन सकते हैं। अभी मुख्यमंत्री सहित 21 हैं, 9 मंत्री और बन सकते हैं। एक व्यक्ति एक पद को आधार बनाया गया तो 3 जगह और खाली हो सकती हैं। गहलोत मंत्रिमंडल का सरकार बनने के बाद अभी एक बार भी विस्तार नहीं हुआ है।
17 दिसंबर को सरकार को तीन साल का कार्यकाल पूरा हो जाएगा। इन तीन साल में विस्तार या फेरबदल नहीं होने के पीछे पार्टी की खींचतान को सबसे बड़ा कारण माना जा रहा है। बताया जाता है कि जिन विधायकों को मंत्री नहीं बनाया जाएगा उनमें से कई को राजनीतिक नियुक्तियां देकर संतुष्ट किया जाएगा।
गहलोत खेमे और पायलट कैंप के शेयरिंग फार्मूले पर निगाह
उपचुनाव की जीत के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की पोजिशन सियासी तौर पर मजबूत मानी जा रही है। गहलोत कैंप के विधायकों को मंत्रिमंडल में ज्यादा जगह मिलने के आसार हैं, लेकिन सचिन पायलट कैंप भी बराबर की भागीदारी मांग चुका है। गहलोत-पायलट कैंप में से किसे कितनी भागीदारी दी जाएगी, इस पर फैसला हाईकमान करेगा।
गहलोत खेमे के विधायकों में बसपा से कांग्रेस में आने वाले 6 विधायक, 13 में से कई निर्दलीय विधायक और कांग्रेस के दर्जन भर विधायक मंत्री बनने की दावेदारी कर रहे हैं। जिन विधायकों का मंत्री बनने में नंबर नहीं आएगा उन्हें बोर्ड, निगमों और ऑटोनोमस बॉडीज में नियुक्तियां देकर संतुष्ट करने की रणनीति है।