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जनता की राय से बनेगा आप पार्टी का घोषणा पत्र, हर विधानसभा के लिए तय होगी गारंटी

विधानसभा चुनाव के लिए 51 सीटों पर प्रत्याशी घोषित कर चुकी आम आदमी पार्टी ने चुनावी घोषणा पत्र की रूपरेखा तैयार कर ली है। पार्टी जनता की राय से घोषणा पत्र बनाएगी। जिसमें मुख्य घोषणा पत्र के अलावा हर विधानसभा क्षेत्र के लिए अलग-अलग घोषणा पत्र होगा। फरवरी पहले सप्ताह तक पार्टी घोषणा पत्र जारी कर सकती है।

उत्तराखंड में पहली बार चुनाव लड़ रही आम आदमी पार्टी चुनावी घोषणा पत्र तैयार करने में जुट गई है। आप सह मीडिया प्रभारी उमा सिसोदिया ने बताया कि प्रत्येक विधानसभा में पार्टी कार्यकर्ता घर-घर जाकर लोगों से स्थानीय व प्रदेश स्तर के मुद्दों पर सुझाव ले रहे हैं। बेहतर सुझाव को पार्टी अपने घोषणा पत्र शामिल करेगी।

उन्होंने कहा कि आप विचारों की पार्टी है। पार्टी के लिए जनता की राय सर्वोपरि है। पार्टी का मुख्य घोषणा पत्र उत्तराखंड की जनता के सुझावों से तय होगा। इसके अलावा प्रत्येक विधानसभा के लिए अलग-अलग घोषणा तैयार कर गारंटी दी जाएगी। पार्टी का प्रयास है कि चुनावी घोषणा पत्र आम लोगों की राय से बने। हर विधानसभा क्षेत्र में पार्टी कार्यकर्ता लोगों से सुझाव ले रहे हैं।

दिल्ली सरकार के कैनिबेट मंत्री सत्येंद्र जैन ने किया वर्चुअल नवपरिवर्तन संवाद 
आम आदमी पार्टी के नेता एवं दिल्ली सरकार के कैबिनेट मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा कि 21 साल में कांग्रेस-भाजपा नेताओं ने उत्तराखंड का नहीं सिर्फ अपना विकास किया है। राज्य गठन के बाद दोनों दल बारी-बारी से सत्ता में रही। लेकिन जनभावनाओं और लोगों की अपेक्षाओं के अनुरूप कोई काम नहीं किया।

शनिवार को कैबिनेट मंत्री सत्येंद्र जैन ने उत्तराखंड में वर्चुअल नवपरिवर्तन संवाद कार्यक्रम को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के लोगों को बड़ा आंदोलन लड़ने के बाद अलग राज्य मिला। राज्य आंदोलन के पीछे जो जनभावनाएं और उम्मीदें थी। उसे कांग्रेस व भाजपा सरकारें पूरी नहीं कर पाई है। प्रदेश में अच्छे स्कूल, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएं, रोजगार, महिला सशक्तिकरण के लिए दोनों दलों ने कुछ नहीं किया। यही वजह है कि प्रदेश के युवाओं को रोजगार, शिक्षा के लिए पलायन करने को मजबूर होना पड़ा। जिससे पहाड़ों में कई गांव वीरान हो चुके हैं।

जैन ने कहा कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार ने काम करके दिखाया है। उत्तराखंड में संसाधनों की कोई कमी नहीं है। यदि इन संसाधनों का सही ढंग से इस्तेमाल किया जाए तो उत्तराखंड का नवनिर्माण हो सकता है। दिल्ली की तर्ज पर उत्तराखंड में भी अच्छे सरकारी स्कूल व स्वास्थ्य सुविधाएं लोगों को मिल सकती है।

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