करौली को मिल सकता है सैटेलाइट अस्पताल:चंबल-पांचना-जगर लिफ्ट परियोजना की घोषणा की उम्मीद, मासलपुर में 132 केवी GSS की मांग
प्रदेश के बजट से करौली जिले के लोग भी उम्मीद लगाए बैठे हैं। जिलेवासियों को उम्मीद है कि बजट में जिले के विकास से जुड़ी कई घोषणाएं होगी। जिला मुख्यालय के लिए विशेष रूप से लोग सैटेलाइट अस्पताल की स्वीकृति और रोडवेज डिपो के स्वतंत्र संचालन की आस लगाए हैं। वहीं मासलपुर के लोग बिजली की समस्या के समाधान के लिए 132 केवी ग्रिड सब स्टेशन की उम्मीद लगाए हुए हैं।
पिछले बजट में अधूरी रही सैटेलाइट अस्पताल की मांग के इस बार के बजट में पूरी होने की उम्मीद हैं। करौली में जिला अस्पताल की नई बिल्डिंग शहर से करीब 8 किलोमीटर दूर बनी है। पुरानी बिल्डिंग से कुछ इकाइयां नए भवन में शिफ्ट कर दी गई हैं, जबकि भविष्य में पूरा अस्पताल ट्रांसपर किया जाना है, लेकिन नई बिल्डिंग तक पहुंचने के लिए फिलहाल न तो अच्छी सड़क है और न ही आने-जाने के लिए पर्याप्त साधन है। ऐसे में पुराने भवन में सैटेलाइट अस्पताल की मांग है। करौली विधायक लाखनसिंह मीणा भी शहर में सैटेलाइट अस्पताल की जरुरत बता चुके हैं। जिला प्रशासन की ओर से भी प्रस्ताव सरकार को भेजा गया है। शहरवासी भी इस मांग को लेकर लगातार मुहिम चला रहे हैं।
करौली शहर में साल 2012 में उद्घाटन के बाद से अघोषित रूप से बंद पड़े रोडवेज डिपो के स्वतंत्र संचालन की मांग भी लंबे समय से उठ रही है। फिलहाल करौली डिपो का संचालन हिण्डौन डिपो के अधीन हो रहा है। इससे परिवहन सेवाओं का पर्याप्त लाभ आमजन को नहीं मिल पा रहा है। यहां केंद्रीय रोडवेज बस स्टैंड परिसर में बनाए गए डिपो के लिए काफी काम भी हो चुका है। बिल्डिंग सहित अन्य निर्माण काम हो चुके हैं। लोग लगातार करौली डिपो के स्वतंत्र संचालन की मांग कर रहे हैं।
पान की खेती को सरकारी संरक्षण की दरकार
मासलपुर तहसील मुख्यालय पर 132 केवी जीएसएस की लंबे समय से मांग उठ रही है। क्षेत्र में बिजली समस्या के चलते यह मांग अब जोर पकड़ रही है। मासलपुर कस्बे समेत ग्रामीण क्षेत्र में बिजली खपत में काफी इजाफा होने से बिजली सप्लाई दिन में कई बार बाधित होती है। इसी प्रकार मासलपुर क्षेत्र के प्रसिद्ध पान को भी सरकारी संरक्षण की दरकार है। पान के लिए सरकारी संरक्षण का लंबे समय से किसान इंतजार कर रहे हैं। मासलपुर-उपरेला इलाके में पान की खेती होती है, लेकिन साल दर साल यह कम हो रही है।
शहर में बाइपास की दरकार
करौली शहर के बीच होकर गुजर रहे हाईवे पर वाहनों का दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है। विशेष रूप से नेशनल हाईवे-11बी का निर्माण पूरा होने के बाद से वाहनों की आवाजाही बढ़ गई है, ऐसे में आबादी क्षेत्र से हाईवे निकलने से आए दिन हादसे और शहर के लोगों को आवागमन में परेशानी बढ़ गई है। इस समस्या के समाधान के लिए करौली में बाइपास की मांग भी उठ रही है। बाइपास का निर्माण होने से शहर से निकल रहे हाईवे पर वाहनों का दबाव कम होगा। इसी प्रकार चंबल-पांचना-जगर लिफ्ट परियोजना को स्वीकृति मिलने की उम्मीद है, जिससे लोगों को पेयजल संकट की मुक्ति के साथ ही सिंचाई के लिए पानी मिलेगा।