जिले में वीपीडीओ की कमी से प्रभावित हो रहे कामकाज
जनता की समस्याओं का ग्राम स्तर पर समाधान से लेकर सरकार की योजनाओं को धरातल पर उतारने वाले पंचायत राज विभाग में कर्मियों का टोटा बना हुआ। जिले के 1035 में से केवल 103 ग्राम पंचायत अधिकारी कार्यरत हैं। इनमें से भी देहरादून के नजदीकी ब्लॉक जौनपुर और नरेंद्रनगर में सबसे ज्यादा वीपीडीओ तैनात हैं। ग्राम पंचायत विकास अधिकारियों की कमी के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों की समस्याओं का निराकरण नहीं हो रहा है। साथ ही ग्राम प्रधानों में भी विभिन्न कार्यों को संपादित करने में परेशानियां उठानी पड़ रही हैं।
टिहरी जिले के नौ में से सात ब्लॉक ग्राम पंचायत अधिकारियों की कमी से जूझ रहे हैं। ग्राम पंचायत अधिकारियों की कमी होने के कारण सरकार की योजनाओं का लाभ जरूरतमंदों को नहीं मिल पा रहा है। साथ ही ग्रामीणों को परिवार रजिस्ट्रर में नाम दर्ज करवाने, परिवार रजिस्ट्रर की नकल लेने, जन्म, मृत्यु प्रमाणपत्र समेत अन्य परेशानियां उठानी पड़ रही हैं। जिले में 75 न्याय पंचायतें हैं। प्रत्येक न्याय पंचायत में कम से कम दो पंचायत अधिकारी होने चाहिए, लेकिन जिले में कुल 103 ग्राम पंचायत अधिकारी हैं, जिसके चलते एक-एक ग्राम पंचायत अधिकारी के पास 20 से 25 ग्राम पंचायतों का प्रभार है। प्रदेश के सबसे बड़े ब्लॉक भिलंगना के 182 ग्राम पंचायत के 11 न्याय पंचायतों में केवल 14 ग्राम पंचायत अधिकारी कार्यरत हैं। प्रतापनगर की आठ न्याय पंचायत में आठ, जाखणीधार की सात न्याय पंचायत में नौ, चंबा की आठ में नौ, थौलधार की पांच में नौ, देवप्रयाग के नौ में से आठ, कीर्तिनगर के आठ में से नौ ही ग्राम पंचायत अधिकारी कार्यरत हैं, जबकि देहरादून से लगे नजदीकी ब्लॉक जौनपुर और नरेंद्रनगर में ग्राम पंचायत अधिकारियों की संख्या अन्य ब्लॉक के अपेक्षा दोगुनी है। जौनपुर में 19 और नरेंद्रनगर में 15 ग्राम पंचायत अधिकारी न्याय पंचायत के मानक के अनुसार पर्याप्त है, जिस कारण ग्राम पंचायतों में कामकाज प्रभावित हो रहे हैं।
कई स्थानों पर एक-एक ग्राम पंचायत अधिकारी के पास 20 से 30 तक गांव है। इस संबंध में डीपीआर विद्या सिंह सोनाल का कहना है कि रिक्त पदों को भरने के लिए शासनस्तर पर भर्ती प्रक्रिया जारी है।