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जल संरक्षण को तकनीक का उपयोग करें ग्रामीण

रुद्रप्रयाग : विश्व जल दिवस पर मुख्यमंत्री नवाचार योजना के तहत एक राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय अगस्त्यमुनि में कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें विषय विशेषज्ञों, प्राध्यापकों के अलावा 150 छात्र-छात्राओं ने प्रतिभाग किया। इस अवसर पर प्रचार-प्रसार के माध्यम से जल संरक्षण करने अपील की गई। जल संरक्षण के लिए महाविद्यालय में वर्षा के पानी को एकत्र करने के लिए टैंक एवं चाल खाल बनाने पर जोर दिया गया।

बुधवार को महाविद्यालय की प्राचार्य प्रो. पुष्पा नेगी एवं वन क्षेत्राधिकारी यशवंत चौहान ने दीप प्रज्जवलित कर संयुक्त रूप से कार्यशाला का उद्घाटन किया। इस अवसर पर वन क्षेत्राधिकारी चौहान ने कहा कि हमें विभिन्न प्रजातियों के पौधों का रोपण करके प्राकृतिक जलस्रोत को रिचार्ज करना चाहिए। उन्होंने छात्र-छात्राओं से इस महत्वपूर्ण कार्य में योगदान देने की अपील की। महाविद्यालय की प्राचार्य प्रो. पुष्पा नेगी ने छात्रों को सामाजिक सरोकारों से जुड़ने के लिए प्रेरित किया। साथ ही प्राकृतिक जल के संरक्षण के लिए पारंपरिक एवं सांस्कृतिक मापदंडों को उपयोग में लाने की बात कही। कार्यक्रम संयोजक एवं परियोजना के नोडल अधिकारी डा. हरिओम शरण बहुगुणा ने प्रस्तुतीकरण के माध्यम से जल की वर्तमान स्थिति पर विस्तृत चर्चा की। साथ ही भूजल की घटती मात्रा के प्रति चितन करने का आग्रह किया। बताया कि जल संरक्षण एवं वर्षा जल एकत्रण को बढ़ावा देकर सरल ग्रामीण तकनीकी का उपयोग कर इसे स्वरोजगार से जोड़ा जा सकता है, जिसके लिए उन्होंने कई उदाहरण भी प्रस्तुत किए

इस अवसर पर डा. तनुजा मौर्य, डा. प्रकाश फोंदणी, नोडल अधिकारी डा. नवीन खंडूड़ी, नवाचार समिति की डा. ममता सेमवाल, डा. दीप्ति राणा, डा. चंद्रकला, डा. कनिका, डा. तनुजा, डा. दीपाली, डा. सुधीर पेटवाल, डा. अनुज, डा. दलीप बिष्ट, डा. केपी चमोली, जितेंद्र, ममता शर्मा, विष्णु शर्मा, डा. अंजना उपस्थित थी।

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