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किसानों की सहायता के लिए प्लांट ब्रीडिंग में जीन एडिटिंग की आवश्यकता है

डॉ रत्ना कुमरिया, डायरेक्टर-बायोटेक्नोलॉजी , एलायंस फॉर एग्री इनोवेशन पूरे विश्व स्तर पर किसान, उपलब्ध संसाधनों के प्रबंधन तथा कृषि के स्वास्थ्य को बनाए रखते हुए सभी के लिए अन्न उपजाने का कार्य करते हैं। उच्च उत्पादकता के लिए लगातार बढ़ते दबाव और पौष्टिक भोजन की मांग ने किसानों को खेती के लिए बेहतर गुणवत्ता वाले बीजों की मांग के लिए प्रेरित किया है। अप्रत्याशित मौसम और सीमित संसाधनों की अनिश्चितता के कारण स्थायी कृषि आवश्यक हो चुका है। खेती के दौरान आने वाली कई तरह की चुनौतियों का प्रबंधन करने के लिए किसान, पौधा प्रजनक की दूरदर्शिता पर भरोसा करते हैं जो उन्हें सबसे उपयुक्त बीज की किस्मों को उपलब्ध करा सकता है।

बीज की उन्नत किस्मों को विकसित करने के लिए पौधा प्रजनक को कई जानकारियों की आवश्यकता होती है जिनमें किसानों के द्वारा दिया गया इनपुट, बाजार की मांग, अनुमानित संसाधन प्रतिबंध तथा जलवायु परिवर्तन शामिल हैं। हालांकि पौधा प्रजनक को फसल के बारे में एवं उस फसल के लिए सबसे उत्तम क्षेत्र के विषय में काफी जानकारी होती है परंतु फिर भी इसका अधिक विस्तार से अध्ययन और मूल्यांकन करने के लिए पौधा प्रजनक आधुनिक उपकरणों का भी उपयोग करते हैं। मार्कर असिस्टेड सेलेक्शन (एम ए एस) या जीनोम-वाइड एसोसिएशन स्टडीज (जीडब्ल्यूएएस) जैसे आधुनिक तरीकों ने प्रजनन प्रक्रिया को अधिक पूर्वानुमानित और वेरिएंट के सिलेक्शन को काफी आसान बना दिया है। यद्यपि बीज की नई किस्मों का विकास अब भी बहुत थका देने वाला है तथा कई फसल चक्र के साथ अत्यधिक समय लेता है। पौधा प्रजनक के लिए जीन एडिटिंग बिल्कुल नवीनतम उपकरण है जो उन्हें एक से दो पीढ़ी के भीतर बहु पीढ़ी प्रजनन के बराबर परिणाम प्राप्त करने के लिए फसल के जीनोम में बेहद सटीक एवं त्वरित परिवर्तन लाने की अनुमति देता है। इससे नई किस्मों को विकसित करने में लगने वाले समय और लागत में काफी कमी आती है।

जीन एडिटिंग में होने वाले परिवर्तन प्राकृतिक चयन प्रोसेस के समान हैं और इसलिए इसे पारंपरिक रूप से नस्ल के पौधे के रूप में प्रबंधित किया जाना चाहिए। कई देशों ने जीन एडिटेड क्रॉप को रेगुलेटरी बंधन से मुक्त किया हुआ है क्योंकि वे आनुवंशिक रूप से परंपरागत रूप से पैदा की गई फसलों के समान हैं। एक कुशल विकास प्रक्रिया और न्यूनतम रेगुलेटरी खर्चों के कारण जीन एडिटिंग, प्लांट ब्रीडर्स के लिए बेहद महत्वपूर्ण बन जाता है क्योंकि इससे वे क्षेत्रीय और विश्व स्तर पर फसलों के साथ काम करते हैं। जीन एडिटिंग तकनीक आमतौर पर महंगी तकनीकों की बजाए सरल एवं सस्ती पड़ती है। इसका इस्तेमाल केवल ज्यादा उगाए जाने वाली फसलों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसे विभिन्न प्रकार के पौधों में नवाचार के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।

किसानों को बीज की ऐसी किस्मों की सख्त जरूरत है जो पर्यावरण एवं जलवायु के अनुकूल हों – अप्रत्याशित मौसम, सूखे का प्रबंधन करने के लिए; ऊष्मा सहनशीलता- बढ़ते वैश्विक तापमान और पानी की कमी का प्रबंधन करने के लिए; कीट प्रतिरोधी- फसल के नुकसान और कीटनाशकों के उपयोग को कम करने के लिए; संसाधन दक्षीता- रासायनिक उपयोग को कम करने और खाद्य अपव्यय से बचने के लिए एवं शेल्फ लाइफ में सुधार करने के लिए। दूसरी ओर उपभोक्ता उचित मूल्य, सुरक्षित और पौष्टिक भोजन चाहते हैं। आगे आने वाले भविष्य में, उपर्युक्त विशेषताओं और उच्च पैदावार वाली किस्मों की खेती स्थायी कृषि के लिए आदर्श होगी और इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए पौधा प्रजनक को सभी उपलब्ध उपकरणों का उपयोग करने की आवश्यकता होगी।

किसानों द्वारा आजीविका के लिए किया गया व्यापार, फसल की पैदावार, संसाधनों का उचित उपयोग, पर्यावरणीय प्रभाव आदि पर आश्रित होता है। यह महत्वपूर्ण है कि उनके पास खेती के विषय में महत्वपूर्ण निर्णय लेने और चुनने के लिए बीज के कई किस्म उपलब्ध हों।

चावल, मक्का, गेहूं, सोयाबीन, कैनोला, केला, टमाटर, आलू, पालक, जामुन और मशरूम सहित कई फसलों को बेहतर बनाने के लिए पौधा प्रजनक, जीन एडिटिंग का उपयोग कर रहे हैं। ऐसी कुछ फसलें जिनका व्यवसायीकरण किया गया है उनमें उच्च ओलिक सोयाबीन, संयुक्त राज्य अमेरिका में बेहतर कैमेलिना और कैनोला, जापान में उच्च GABA टमाटर और कई अन्य फसलें शामिल हैं। पौधा प्रजनक तथा किसान, खेती में आने वाली कई चुनौतियों का सामना करने के लिए जीन एडिटिंग को एक उपकरण के रूप में अपना रहे हैं और आने वाले समय में जीन एडिटिंग कृषि उत्पादकता के लिए वरदान साबित होगी।

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