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स्त्रोत संवारे तो बही पानी की धार

पौड़ी: प्राकृतिक जल स्त्रोतों के संरक्षण की दिशा में कोटसाड़ा गांव में शुरू की गई मुहिम रंग लाई है। फिलवक्त जल संरक्षण की इस मुहिम से ग्रामीणों को पर्याप्त पानी मिल रहा है।

जनपद के विकासखंड कोट में है कोटसाड़ा गांव। यहां एक छोटा प्राकृतिक जल स्त्रोत है, लेकिन स्त्रोत का ठीक से संरक्षण न होने से इसका ठीक से लाभ ग्रामीणों को नहीं मिल पाता।

खंड विकास अधिकारी कोट दिनेश प्रसाद बडोनी ने बताया कि कुछ माह पूर्व गांव के भ्रमण के दौरान स्त्रोत को देखा तथा इसके संरक्षण की कार्ययोजना बनाई गई। प्रशासन के सम्मुख भी योजना रखी गई। उन्होंने कहा कि विकासखंड कार्यालय के माध्यम से ही इसी वित्तीय वर्ष में 15 वें वित्त योजना की एक लाख 65 हजार की लागत से प्राकृतिक स्त्रोत के संरक्षण एवं जल संव‌र्द्धन की दिशा में कार्य करवाया गया। कुंआ से प्राकृतिक जल स्त्रोत को नई तकनीक से मोडिफाइड करवाया तो उम्मीदों को भी पंख लगे। बीडीओ बडोनी ने बताया कि जल संरक्षण एवं संर्वद्धन के लिहाज से स्त्रोत को संरक्षित किए जाने से अब साफ पानी मुहैया हो गया है। जिसका ग्रामीणों के अलावा मार्ग से गुजरते वक्त हर कोई प्रयोग कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि अब वैस्टेज पानी के लिए स्त्रोत के समीप ही एक चरी भी बनाई। जिसका पानी मवेशियों के पीने के पानी के कार्य आएगा। फिलवक्त प्राकृतिक स्त्रोत संरक्षण की दिशा में इस पहल को खूब सराहा जा रहा है। जिलाधिकारी डा. विजय कुमार जोगदंडे ने क्षेत्र भ्रमण के दौरान कोटसाड़ा गांव में जल संरक्षण के क्षेत्र में प्राकृतिक पेयजल स्त्रोत के जीर्णीद्धार का निरीक्षण किया तथा। उन्होंने कहा अन्य ब्लाकों में भी इसकी कार्ययोजना तैयार की जाएगी। जिससे जहां प्राकृतिक स्त्रोतों को संरक्षित किया जाएगा, वहीं दूसरी ओर पानी की उपलब्धता होगी

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