भारतीय बैडमिंटन के लिए शुक्रवार 13 मई का दिन इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया। भारतीय टीम ने थामस कप के फाइनल में पहली बार जगह बनाते हुए वो कमाल कर दिखाया जिसका इंतजार हर एक भारतीय को था। सेमीफाइनल में डेनमार्क के खिलाफ पिछड़े के बाद भारत ने वापसी की और 3-2 की जीत दर्ज करते हुए देशवासियों को झूमने का मौका दिया।
एचएस प्रणय ने पैर में दर्द के बावजूद निर्णायक पांचवें मैच में गजब का जज्बा दिखाया, जिससे भारतीय पुरषष बैडमिंटन टीम ने यहां रोमांचक सेमीफाइनल में डेनमार्क को 3-2 से हराकर पहली बार थामस कप के फाइनल में पहुंचकर इतिहास रचा। इसी के साथ भारत ने कम से कम रजत पदक पक्का कर लिया। प्रणय दर्द की दवा खाकर इस मैच में खेलने उतरे और भारतीय टीम की जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई।
भारत की शुरुआत अच्छी नहीं रही और लक्ष्य सेन अपना एकल मुकाबला 13-21, 13-21 के अंतर से विक्टर के खिलाफ हार गए। इसके बाद सात्विकसाईराज रंकीरेड्डी व चिराग शेट्टी की जोड़ी डबल्स मुकाबले में 21-18. 21-23, 21-20 से जीत दिलाकर बराबरी दिलाई। इसके बाद भारत के स्टार और वर्ल्ड चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल जीतने वाले किदाम्बी श्रीकांत ने 21-18, 12-21, 21-15 से मैच भारत को जिताकर 2-1 की बढ़त दिलाई। इसके बाद कृष्णा और विष्णु की जोड़ी को 14-21, 13-21 की करारी हार मिली और स्कोर 2-2 की बराबरी पर आ खड़ा हुआ।
भारतीय बैडमिंटन से स्टार पुरुष खिलाड़ी एचएस प्रणय (HS Prannoy) ने निर्णायक 5वें मैच में लाजवाब खेल दिखाते हुए बराबरी पर चल रहे मुकाबले में टीम इंडिया को जीत दिलाई। भारतीय पुरुष बैडमिंटन टीम ने रोमांचक रहे सेमीफाइनल में डेनमार्क जैसी टीम के खिलाफ कांटे के टक्कर में 3-2 से जीत हासिल करते हुए पहली बार टूर्नामेंट के फाइनल में कदम रखा
थामस कप में भारतीय टीम ने साल 1979 के 43 साल बाद सेमीफाइनल में कदम रखा था। इससे पहले भारतीय टीम कभी भी इस पड़ाव के आगे नहीं बढ़ पाई थी लेकिन इस बार टीम ने फाइनल में पहुंचकर खिताब जीतने की उम्मीद जगा दी है। साल 2016 की चैम्पियन टीम डेनमार्क को भारतीय टीम ने बेहद कड़े मुकाबले में हराया।