घरों तक पानी पहुंचाने को हर माह 50 लाख खर्च कर रहा जल संस्थान
जल संस्थान लोगों के घरों तक पानी पहुंचाने के लिए पानी की तरह पैसा बहाने को मजबूर है। स्थिति यह है कि निजी टैंकर संचालकों को जल संस्थान घर-घर पानी पहुंचाने के लिए रोज 60 हजार और महीने में 18 लाख रुपये भुगतान कर रहा है। इसी तरह हर महीने खराब होने वाली ट्यूबवेल की मोटरों की मरम्मत में 25 लाख से अधिक रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं। पेयजल लाइनों की मरम्मत आदि को अगर जोड़ दिया जाए तो जल संस्थान हर माह पानी के लिए 50 लाख से अधिक रुपये खर्च कर रहा है। बावजूद इसके शहर के तमाम क्षेत्रों में पानी के लिए मारामारी जारी है।
शहर में पानी की मांग को पूरा करने के लिए जल संस्थान द्वारा लगाए गए 70 ट्यूबबेल में से पिछले 30 दिनों में 15 खराब हो गए। इनके लगातार खराब होने से पानी की सप्लाई प्रभावित हो रही है। नगर निगम के पुराने क्षेत्र में गौला से जल संस्थान घरों में पानी पहुंचाता है। लेकिन निगम में जुड़े नए इलाके और शहर के आसपास के गावों की अधिकांश आबादी इन ट्यूबबेल के पानी पर ही निर्भर रहती है। एक बार ट्यूबवेल खराब होने पर इसको ठीक होने में करीब 15 दिन लग रहे हैं। इस दौरान उस इलाके में पानी के लिए आम जनता को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। विभाग को ट्यूबवेल ठीक करवाने में लगभग 25 लाख रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं।