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आपदा मंत्रालय को राजनीतिक इच्छाशक्ति एवं जागरूकता के अभाव ने पीछे धकेला- प्रो. सेमवाल

हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग द्वारा मानसून के कहर के बीच प्राकृतिक आपदाओं के लिए विभिन्न भारतीय राज्यों की आपदा नीतियों के विषय पर एक दिवसीय परिचर्चा का आयोजन किया गया। जिसमें राज्य में आपदाओं का इतिहास, भू-संरचना, एनडीआरएफ तथा एसडीआरएफ की भूमिका तथा चेतावनी व्यवस्थाओं जैसे पूर्व चेतावनी यंत्र, डाप्लर रडार आदि के बारे में विस्तृत जानकारी दी।

विभागाध्यक्ष प्रो. एमएम सेमवाल ने कहा कि उत्तराखंड आपदा प्रबंधन मंत्रालय बनाने वाला पहला राज्य बना है, किंतु राज्य में राजनीतिक इच्छाशक्ति के अभाव, जागरूकता की कमी और संसाधनों के अकुशल आवंटन ने इस पूरी प्रक्रिया को नुकसान पहुंचाया है। इसके लिए नीतियों को धरातल पर उतारने के साथ साथ विद्यालयों एवं महाविद्यालयों में छात्र-छात्राओं को आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण देकर उन्हें संसाधन के रूप में इस्तेमाल किया जाना चाहिए। इसके साथ ही अनियोजित विकास के स्थान पर सतत धारणीय विकास और आपदा प्रबंधन में स्थानीय एवं पारंपरिक ज्ञान तथा कौशल को उपयोग में लाना चाहिए।

कार्यक्रम में शोध छात्र अरविंद रावत ने अपनी पीपीटी के द्वारा उत्तराखंड सरकार की आपदा नियंत्रण नीतियों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि सरकार ने गांवों में आपदा से निपटने के लिए ग्रामवासियों को प्रशिक्षण दिया है। जिन्हें आपदा के समय काम में लाया जा सकता है। छात्रा विदुषी डोभाल ने वर्तमान समय में मानसून तथा इससे उत्पन्न प्राकृतिक आपदाओं के विषय में श्रोताओं को अवगत कराया। शिक्षक डॉ राकेश नेगी ने कहा कि मानव स्वयं अपनी गतिविधियों के कारण आपदा का शिकार बन रही है। इसलिए मनुष्य को प्रकृति से छेड़छाड़ तुरंत बंद करनी चाहिए।

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