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नशा मुक्ति केंद्रों के लिए बनेंगे सख्त नियम, मानसिक स्वास्थ्य नीति को मिल सकती है मंजूरी

प्रदेश में बिना पंजीकरण संचालित हो रहे नशा मुक्ति केंद्रों के लिए सरकार सख्त नियम बनाने जा रही है। इससे नियम विरुद्घ चल रहे केंद्रों पर शिकंजा कसेगा। केंद्र सरकार की तर्ज पर उत्तराखंड में पहली बार मानसिक स्वास्थ्य नीति तैयार की गई है। आगामी कैबिनेट में इस नीति को मंजूरी मिल सकती है। नीति में नशा मुक्ति केंद्रों के संचालन को लेकर इलाज लेने वाले लोगों के लिए सख्त नियम होंगे। मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण के मानकों के अनुसार नशा मुक्ति केंद्रों का पंजीकरण अनिवार्य किया जाएगा।

नशे के आदी हो चुके लोगों का इलाज कर नशा छुड़वाने के लिए प्रदेश में कई केंद्र संचालित हो रहे हैं। पंजीकरण न होने से इन केंद्रों की गतिविधियों पर किसी तरह की निगरानी नहीं है। नशा मुक्ति केंद्रों में नशा छोड़ने के लिए यातनाएं देने और उत्पीड़न के मामले भी सामने आते हैं। इसके लिए पहली बार सरकार मानसिक स्वास्थ्य नीति लागू करने जा रही है। स्वास्थ्य विभाग ने इस नीति का प्रस्ताव तैयार किया है।

नीति में नशा मुक्ति केंद्रों का पंजीकरण अनिवार्य किया जाएगा। इसके अलावा केंद्र में सेवाएं देने वाले कर्मचारियों व संचालकों को भी केंद्रीय मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण से पंजीकरण करना होगा। जो लोग नशा मुक्ति केंद्रों में इलाज कराने जाएंगे, उनका भी राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण में पंजीकरण किया जाएगा। इसके अलावा प्राधिकरण के मानकों के अनुरूप नशा मुक्ति केंद्रों में काउंसिलिंग की सुविधाएं दी जाएगी।

केंद्र सरकार की मानसिक स्वास्थ्य नीति के आधार पर राज्य की नीति का प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेजा गया है। नीति में नशा मुक्ति केंद्रों के संचालन के लिए सख्त नियम का प्रावधान किया गया है।

-डॉ. आर. राजेश कुमार, प्रभारी सचिव स्वास्थ्य

उत्तराखंड को 2024 तक तंबाकू सेवन मुक्त करने का लक्ष्य
प्रदेश सरकार ने उत्तराखंड को 2024 तक तंबाकू सेवन मुक्त करने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए विश्व तंबाकू निषेध दिवस पर स्वास्थ्य विभाग की ओर से प्रदेश भर में जागरूकता अभियान चलाया गया। कॉलेजों व स्कूलों में छात्रों को तंबाकू का सेवन न करने की शपथ दिलाई गई थी।

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