स्थानीय भाषाओं से जुड़ना शिक्षा की पहली जरूरत: शैली
देहरादून, कार्यालय संवाददाता। स्कूलबुक आर्काइव प्रदर्शनी में प्रो. गणेश शैली ने कहा कि स्थानीय भाषाओं से जुड़ना शिक्षा की पहली जरूरत है। भाषा का अपनापन बच्चों को सीखने में सहायक होता है।
आमवाला स्थित अजीम प्रेमजी फाउंडेशन के परिसर में अजीम प्रेमजी विवि और महानिदेशालय विद्यालयी शिक्षा विभाग की ओर से आयोजित दो दिवसीय प्रदर्शनी गुरुवार को सम्पन्न हो गई। इस दौरान मुख्य अतिथि प्रो. गणेश शैली ने कहा कि आधुनिकता के दौर में हम ऐसी चीजों की तरफ भाग रहे हैं जिनका शिक्षा से कोई सरोकार नहीं। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति में घर की भाषा को स्कूल की भाषा बनाने पर जोर दिया गया है। गढ़वाल विवि के डीन प्रोफेसर एससी सूद ने कहा कि लोक की भाषा का अपना महत्व तो है इसके साथ ही मानक भाषा का महत्व भी है। अजीम प्रेमजी विवि के प्रो. वरदराजन ने बताया कि ‘स्कूलबुक आर्काइव प्रोजेक्ट के तहत डिजिटल पोर्टल पर स्कूली किताबों, पाठ्य सामग्रियों आदि शामिल हैं। भारतीय ज्ञान विज्ञान समिति के विजय भट्ट ने कहा कि शिक्षकों को शिक्षण में घर की भाषा को समाहित करना होगा।